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Chhattisgarh : पक्ष-विपक्ष में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा : उपराष्ट्रपति धनखड़  

Chhattisgarh : पक्ष-विपक्ष में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा : उपराष्ट्रपति धनखड़  
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Chhattisgarh : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पक्ष-विपक्ष में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा और सकारात्मक परिणाम देगा। उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया।

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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या कहा?   

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस अवसर पर कहा कि पक्ष और विपक्ष के विधायकों में लगातार संपर्क और सामंजस्य होना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा और सकारात्मक परिणाम देगा। आप सदन में प्रतिद्वंदी नहीं हैं। यहां सौहार्दपूर्ण माहौल की आवश्यकता है। आप लोग सामंजस्य बनाकर जनहित में बेहतर काम कर सकते हैं। धनखड़ ने कहा कि जीवन में सीखने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। सदन में नए विधायकों को पुराने विधायकों से भी काफी कुछ सीखने मिलेगा।

संविधान को जानना जरूरी है

उपराष्ट्रपति ने संविधान सभा के गठन और भारत के संविधान के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विधायिका के सदस्यों के लिए संविधान को जानना जरूरी है। जन-आकांक्षाओं के अनुरूप कानूनों में बदलाव विधायिका का प्रमुख कार्य है। प्रचलित कानूनों में बदलाव भारत में ही नहीं विश्व के सभी देशों में होता है। उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में मौलिक अधिकार बहुत अहम हैं। इसके बिना प्रजातंत्र नहीं चल सकता है।

आपके योगदान का आगे मूल्यांकन होगा

उपराष्ट्रपति ने नवनिर्वाचित विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी अधिकार बिना जिम्मेदारी के नहीं आता। आप सदन में अपने बोले हुए हर शब्द के लिए जवाबदेह हैं। आप सब इतिहास का हिस्सा रहेंगे। आपके योगदान का आगे मूल्यांकन होगा। नये विधान के निर्माण में आपकी चिंता, चिंतन और मंथन दिखाई देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी ताकत सदन को चलने देने में है। अनावश्यक व्यवधान को जनता पसंद नहीं करती है। धनखड़ ने कहा कि सदन नियमों से चलता है। सभी सदस्यों को इन नियमों को मानना होता है।

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