Punjab

पंजाब में जल आपूर्ति का क्रांतिकारी बदलाव, 205 योजनाओं से हर गांव तक पहुंचेगा स्वच्छ पानी

Punjab Water Supply : पंजाब के जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने राज्य भर में जल आपूर्ति एवं स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए 2,900 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

लोगों के दैनिक जीवन में सुधार

उन्होंने कहा कि इस बड़े निवेश से प्रमुख परियोजनाओं के शीघ्र पूर्ण होने, नवीन तकनीकों के विस्तार तथा जल की गुणवत्ता एवं स्वच्छता प्रणालियों को मजबूत करने में उल्लेखनीय मदद मिली है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोगों के दैनिक जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है।

सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया

उन्होंने बताया कि वर्तमान में 100 प्रतिशत कवरेज के साथ राज्य में 34 लाख से अधिक परिवारों को सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ग्रामीण विकास के अंतर्गत स्वच्छता क्षेत्र हेतु 2,190.80 करोड़ रुपए की वार्षिक योजना को मंजूरी दी गई है।

देश का पांचवां राज्य बना पंजाब

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंजाब पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल के माध्यम से स्वच्छ पानी की आपूर्ति का लक्ष्य प्राप्त कर चुका है, जिससे पंजाब यह उपलब्धि हासिल करने वाला देश का पांचवां राज्य बन गया है। उन्होंने बताया कि जल गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 15 प्रमुख सतही जल आपूर्ति परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिनके अंतर्गत 1706 गांवों को कवर किया गया है।

इनमें से चार परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं, जबकि 11 परियोजनाएं पूर्ण होने के निकट हैं। उन्होंने आगे कहा कि ये परियोजनाएं विश्वसनीय सतही जल आपूर्ति सुनिश्चित कर समग्र रूप से लगभग 25 लाख ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुंचाएंगी।

लाखों ग्रामीण निवासियों को मिला लाभ

जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 278.37 करोड़ रुपये की लागत से 205 ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाएं पूरी की गई हैं, जिनसे पर्याप्त दबाव के साथ स्वच्छ जल की आपूर्ति संभव हुई और लगभग 2.33 लाख ग्रामीण निवासियों को लाभ मिला है।

98 योजनाओं की अपग्रेडेशन का प्रस्ताव

उन्होंने बताया कि 176 गांवों को कवर करने वाली 144 जल आपूर्ति योजनाओं हेतु 160 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है, जिसके 2026-27 तक पूरा होने की संभावना है। इससे लगभग 3.04 लाख ग्रामीण निवासियों को लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त 19 जिलों के 127 गांवों को कवर करने वाली 98 योजनाओं की अपग्रेडेशन का प्रस्ताव, जिसकी अनुमानित लागत 105 करोड़ रुपये है, स्वीकृति की प्रक्रिया अधीन है।

जल आपूर्ति एवं सीवरेज कार्यों की आधारशिला

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा ऐतिहासिक शहर श्री मुक्तसर साहिब में 140 करोड़ रुपये की लागत से जल आपूर्ति एवं सीवरेज कार्यों के उन्नयन की आधारशिला रखी गई है, जिससे शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच तालमेल आधारित बुनियादी ढांचे की योजना को और मजबूती मिलेगी।

योजनाएं वेब और मोबाइल ऐप-आधारित डैशबोर्ड

उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में प्रौद्योगिकी-आधारित शासन पर विशेष जोर दिया गया है, जिसके तहत 897 गांवों को कवर करने वाली 346 जल आपूर्ति योजनाओं में आईओटी-आधारित आटोमेशन एवं निगरानी प्रणाली लागू की गई है। ये योजनाएं वेब और मोबाइल ऐप-आधारित डैशबोर्ड से जुड़ी हैं, जो वास्तविक समय में परिचालन मानकों को ट्रैक करती हैं और तुरंत प्रतिक्रिया व बेहतर ढंग से सेवाएं करने को सुनिश्चित करती हैं।

प्रयोगशालाएं एनएबीएल से मान्यता प्राप्त

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं का तीन-स्तरीय नेटवर्क के द्वारा मजबूत संस्थागत ढांचा स्थापित किया गया है, जिसमें एक राज्य-स्तरीय, सात क्षेत्रीय-स्तरीय, 17 जिला-स्तरीय और सात ब्लॉक-स्तरीय प्रयोगशालाएं शामिल हैं। सभी प्रयोगशालाएं रासायनिक जांच के लिए एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं, जबकि सात प्रयोगशालाओं में बैक्टीरियोलॉजिकल विश्लेषण की सुविधा भी उपलब्ध है।

17 जिला-स्तरीय प्रयोगशालाओं में सुविधाएं

विभाग इन प्रयोगशालाओं में बैक्टीरियोलॉजिकल सुविधाओं को और सुदृढ़ कर रहा है तथा लगभग 11.42 करोड़ रुपये की लागत से 17 जिला-स्तरीय प्रयोगशालाओं में ऐसी सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं, जिन्हें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि सात प्रयोगशालाओं में बुनियादी ढांचा विकास और उपकरणों की स्थापना का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है।

रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट लगाए गए

हरदीप सिंह मुंडियां ने कहा कि भू-जल में भारी धातुओं से प्रभावित गांवों में उचित उपाय किए गए हैं। सल्फेट, नाइट्रेट और सेलेनियम से प्रभावित 10 गांवों में 54.33 लाख रुपये की लागत से रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्लांट लगाए गए हैं। इसी प्रकार 23 यूरेनियम-प्रभावित गांवों में 5.91 करोड़ रुपए की लागत से सामुदायिक जल शुद्धिकरण संयंत्र लगाए जा रहे हैं, जिनके फरवरी 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

आर्सेनिक-कम-आयरन रिमूवल प्लांटों को स्वीकृति

उन्होंने बताया कि 32 आर्सेनिक-प्रभावित गांवों में 9.77 करोड़ रुपए की लागत से आर्सेनिक-कम-आयरन रिमूवल प्लांटों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी जा चुकी है जिसके लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है। इसके अतिरिक्त 38.69 लाख रुपये की लागत से चार फ्लोराइड-प्रभावित गांवों में सामुदायिक जल शुद्धिकरण संयंत्र लगाए गए हैं, जबकि 18.60 लाख रुपये की लागत से दो आर्सेनिक-प्रभावित गांवों में ऐसे कार्य दिसंबर 2025 तक पूरे करने का लक्ष्य है। सीएसआर सहायता के तहत पटियाला जिले के गांव रणबीरपुरा में एक यूरेनियम रिमूवल प्लांट भी स्थापित किया गया है।

6 हजार से अधिक घरों को शौचालय

जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री ने कहा कि ग्रामीण स्वच्छता क्षेत्र के अंतर्गत राज्य भर में 1598 सामुदायिक स्वच्छता कॉम्पलेक्सों का निर्माण किया गया है और 580 अन्य कॉम्पलेक्सों पर कार्य प्रगति पर है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 6606 घरों को शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि 12,967 घरेलू शौचालयों का निर्माण कार्य जारी है।

गौशालाओं में 20 बायोगैस प्लांट स्थापित

उन्होंने बताया कि जिला-स्तरीय गौशालाओं में 20 बायोगैस प्लांट स्थापित किए गए हैं और 2025-26 तक मालेरकोटला, गुरदासपुर और श्री मुक्तसर साहिब में तीन और ऐसे प्लांट लगाने की योजना है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पहलों में भी तेजी आई है, 28 ब्लॉक-स्तरीय प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों का कार्य पूरा हो चुका है और 22 अन्य इकाइयां प्रगति पर हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न सूखे/प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए गांवों में 77 अतिरिक्त इकाइयां स्थापित करने की योजना है।

वैज्ञानिक प्रबंधन मॉडल अपनाए

हरदीप सिंह मुंडियां ने स्पष्ट किया कि खुले में शौच मुक्त (ODF) दर्जा प्राप्त करने के बाद अब पंजाब राज्य 31 मार्च, 2026 तक सभी गांवों के लिए ओडीएफ प्लस (Model) दर्जा हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब तक 2250 गांवों ने गंदे पानी के वैज्ञानिक प्रबंधन मॉडल अपनाए हैं, जबकि 1812 गांवों में कार्य जारी है। इसी प्रकार 8747 गांवों में स्क्रीनिंग-कम-डिसिल्टिंग चैंबर बनाए जा चुके हैं और 4260 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु कंपोस्ट पिट पूरे किए गए हैं।

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