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पंजाब बाढ़: प्रीतपाल सिंह ने फैक्ट्री का काम रोका, नावें बनाकर बने हजारों पीड़ितों के मसीहा

अहम बातें एक नजर में:

Panjab Flood News :  पंजाब इन दिनों बाढ़ की भयंकर त्रासदी से जूझ रहा है, और हर तरफ तबाही के दृश्य दिखाई दे रहे हैं. भारी बारिश ने कई जिलों को पानी में डुबो दिया है, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में इंसानियत की कुछ ऐसी मिसालें सामने आई हैं, जो दिल को छू जाती हैं. कपूरथला के उद्योगपति  प्रीतपाल सिंह  ने अपनी लोहे की फैक्ट्री का काम रोककर बाढ़ पीड़ितों के लिए नावें बनाना शुरू कर दिया. ये नावें न केवल लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रही हैं, बल्कि हजारों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन गई हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान, जो खुद अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उन्होंने इस निस्वार्थ सेवा की खुले दिल से तारीफ की और कहा कि ऐसी पहल बाढ़ पीड़ितों के लिए वरदान साबित होगी.


सीएम भगवंत मान ने भी की तारीफ

हाल ही में भगवंत मान ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें वह बाढ़ आपदा के दौरान पीड़ितों की मदद करने लोगों से वीडियो कॉल पर बात करते दिखे रहें है. सीएम ने बाढ़ आपदा के दौरान निस्वार्थ सेवा देने वाले कपूरथला के रहने वाले प्रीतपाल सिंह को कॉल कर कहा, “आपने तो कमाल कर दिया. आपके इस योगदान का कोई मोल नहीं दे सकता. सीएम ने लिखा, “पंजाब पर आए संकट के समय पंजाबियों के साथ खड़े होने वाले पंजाब के लोगों से बातचीत की.”


प्रीतपाल सिंह ने किया बड़ा योगदान

प्रीतपाल सिंह ने राहत कार्य को एक नई दिशा देने वाला कदम उठाया है. उन्होंने अपनी लोहे की फैक्ट्री, जिसमें रेलवे के डिब्बे बनतें है, उसमें अपना काम रोककर बाढ़ पीड़ितों के लिए नावें बनाना शुरू कर दिया. जो मुफ्त में सेवा करेंगी, इसकी प्रेरणा उनको न्यूज से मिली, उन्होंने देखा कि लोगों को नावों की जरूरत है तो इसका जिम्मा उन्होंने लिया और आपको बता दें कि अब तक उन्होंने पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला,  सहित कई जिलों में ये नावें भेज भी दी हैं.


कैसे मदद करेगीं ये नावें?

पंजाब के बाढ़ वाले इलाकों में हर जगह पानी फैला हुआ है. ऐसे लोगों तक राहत व खानपान की सामग्री पहुंचाने, बचाव दलों की सहायती आदि कामों के लिए यह नावें ही सबसे बड़ा साधन हैं. प्रीतपाल सिंह की यह पहल बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों लिए बहुत बड़ी राहत है.

इस बाढ़ की कठिन घड़ी में प्रीतपाल सिंह जैसी इंसानियत की मिसालें हमें याद दिलाती हैं कि मुश्किलें चाहे कितनी भी बड़ी हों, अगर दिलों में इरादा और जज्बा हो, तो हर कठिनाई आसान हो जाती है. लोहे की फैक्ट्री छोड़कर नावें बनाकर बाढ़ पीड़ितों की मदद करना सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक इंसानी फर्ज और निस्वार्थ सेवा का जज़्बा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान की तारीफ और जनता का सहयोग यह साबित करता है कि जब दिल और हौसला साथ हों, तो कोई भी आफ़त बड़ी नहीं होती. ऐसी पहलें सिर्फ आज के पीड़ितों के लिए राहत नहीं, बल्कि आने वाली नस्लों के लिए भी प्रेरणा बन जाती हैं.


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