निर्बाध पानी की सप्लाई के लिए मीटर सिस्टम जरूरी, शहरी कार्य मंत्रालय ने तैयार किया नया मैनुअल
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New Delhi : दुनिया में सत्रह प्रतिशत आबादी भारत में रहती है। लेकिन, विश्व में जितना भी स्वच्छ जल उपलब्ध है उसका महज 4 प्रतिशत ही यहां उपलब्ध है। जो पानी है भी उसका केवल 60 प्रतिशत इस्तेमाल होता है। इन स्थितियों में शहरों में निर्बाध पानी की आपूर्ति बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए आवासन और शहरी कार्य-मंत्रालय ने अगले कुछ दशकों तक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देशों को नए सिरे से तैयार किया है, जो शहरों की समस्त आबादी को 24 घंटे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
पानी की आपूर्ति मीटर प्रणाली के जरिये ही होनी चाहिए
1999 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस विषय को सतह पर लाया गया है। क्योंकि, तेजी से और अक्सर बेलगाम तरीके से हो रहे शहरीकरण में पानी की उपलब्धता को लेकर विशेषज्ञों ने अपनी चिंताएं भी व्यक्त की हैं। इस मैनुअल में जितना जोर पानी के संसाधनों के संरक्षण, उसके उपयोग की दक्षता बढ़ाने की वकालत की गई है, उतना ही जोर इस पर भी दिया गया है कि हर स्तर पर पानी की आपूर्ति मीटर प्रणाली के जरिये ही होनी चाहिए।
प्रदूषित होने का सबसे अधिक खतरा होता है
मैनुअल के अनुसार शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति अमृत योजना के जरिये बहुत सुधरी है। 90 प्रतिशत से अधिक शहरी इलाके पाइप्ड वाटर सप्लाई के दायरे में आ गए हैं। लेकिन, यह आपूर्ति निर्बाध नहीं है। ज्यादातर इसकी अवधि दो से छह घंटे की है और कई ऐसे इलाके भी हैं, जहां पानी इससे भी कम अवधि के लिए उपलब्ध हो पाता है। यह छिटपुट आपूर्ति कई समस्याओं को जन्म देती है। जैसे जब पानी की आपूर्ति न हो रही हो तब इसके वितरण नेटवर्क में जल के प्रदूषित होने का सबसे अधिक खतरा होता है।
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