Morbi Bridge Collapse: रखरखाव में बरती गई लापरवाही, कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

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Morbi Bridge Collapse: गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुखभाई भालोदिया पटेल को जमानत देने से इनकार कर दिया। बता दें पटेल जुल्टो पुल उर्फ ​​मोरबी पुल नामक शताब्दी पुराने सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव और संचालन की देखरेख कर रहे थे। एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिव्येश जोशी ने भालोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कलेक्टर के साथ-साथ मोरबी नगरपालिका प्रमुख को पत्राचार किया था और इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि पुल पुराना है और मरम्मत की सख्त जरूरत है।

Morbi Bridge Collapse: पुल प्रबंधक ने की जानबूझकर लापरवाही

न्यायमूर्ति जोशी ने आदेश में कहा, “इसलिए, इस समय, कम से कम, यह कहा जा सकता है कि पुल की जर्जर स्थिति के बारे में तथ्य आवेदक (भलोदिया) को अच्छी तरह से पता था। प्रथम दृष्टया, उन्हें इस तरह की जानकारी थी। आदेश में आगे यह भी कहा, ”सस्पेंशन ब्रिज के उचित रखरखाव के अभाव में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट सकती है और पुल की स्थिति के बारे में पर्याप्त जानकारी होने के बावजूद, उन्होंने पुल को जनता के लिए खोलने की अनुमति दे दी।”

Morbi Bridge Collapse: घटना को टाला जा सकता

कोर्ट ने आगे कहा कि अगर उन्होंने समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए होते तो इस घटना को टाला जा सकता था। न्यायमूर्ति जोशी ने रेखांकित किया, “अगर कंपनी के प्रमुख होने के नाते उन्होंने पर्याप्त कदम उठाए होते तो इस तरह की अप्रत्याशित घटना को रोका जा सकता था और निर्दोष व्यक्तियों की बहुमूल्य जान बचाई जा सकती थी।”

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