फटाफट पढ़ें
- शिंदे गुट की नाराजगी के बीच बैठक हुई
- बीजेपी ने कहा कोई शिवसेना नेता शामिल नहीं
- चुनाव से पहले टकराव और समाधान पर चर्चा हुई
- शिंदे के कुछ मंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए
- दोनों दलों ने नियम मानने की सहमति दी
Political Consensus : महाराष्ट्र की राजनीति से बड़ी खबर सामने आई है. उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के मंत्रियों में नाराजगी की वजह सामने आई. इसी मसले को सुलझाने के लिए शिवसेना और बीजेपी के बीच बड़ा फैसला लिया गया. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने एकनाथ शिंदे को आश्वासन दिया है कि उनकी पार्टी का कोई भी नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल नहीं किया जाएगा.
शिवसेना और बीजेपी के बीच चल रहे विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आई है. बीजेपी ने कहा कि शिवसेना के किसी भी कार्यकर्ता को अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा. इस मुद्दे पर अगले दो दिनों में दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की बैठक भी होगी.
महाराष्ट्र निकाय चुनाव से पहले होने वाली बैठक में महायुति के तहत किन जिलों में टकराव है और इसका समाधान कैसे निकाला जाए. इस पर चर्चा होगी. दोनों नेताओं ने एक दूसरे को आश्वासन दिया है कि चुनाव के समय युती की जिम्मेदारी दोनों दलों की ओर से पूरी तरह निभाई जाएगी.
शिंदे गुट की नाराजगी और कैबिनेट बहिष्कार
मिली जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे के गढ़ माने जाने वाले ठाणे, कल्याण डोबिंवली और पालघर से कई कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल होने वाले थे. इसी नाराजगी के चलते एकनाथ शिंदे के कुछ मंत्रियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट बैठक का बहिष्कार किया था. कैबिनेट बैठक के दौरान शिवसेना के मंत्री मीटिंग रूम में नहीं पहुंचे और सीएम फडणवीस के कार्यालय में ही रहे. केवल एकनाथ शिंदे बैठक में शामिल हुए. इसके बाद शिवसेना मंत्रियों ने सीएम फडणवीस से मुलाकात कर अपनी नाराजगी की वजह बताई.
दोनों दलों ने सहमति जताई
मीटिंग में शामिल नहीं होने के बाद, एकनाथ शिंदे के मंत्री सीएम देवेंद्र फडणवीस से मिले और नाराजगी जताई कि शिवसेना के कुछ नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. इस पर सीएम ने समझाया कि उल्हासनगर में शुरुआत तो शिवसेना ने ही की थी, इसलिए शिंदे गुट करे तो सही और बीजेपी करे तो गलत, यह कैसे हो सकता है. इसके बाद सीएम फडणवीस ने साफ कहा कि अब से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे की पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा और इस नियम का पालन दोनों पार्टियों को करना होगा. इस पर शिवसेना और बीजेपी ने सहमति जताई है.
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