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Kailash Kher Birthday: जब गंगा नदी में सुसाइड करने कूद गए थे कैलाश खेर, एक्टर ने खुद किया था खुलासा

कैलाश खेर आज म्यूजिक इंडस्ट्री का जाना माना चेहरा हैं। संगीत की दुनिया में वह बेहद लोकप्रिय है। कैलाश खेर आज अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं।

तेरी दीवानी, सैंया, या रब्बा. अर्जिया जैसे गानों से खुद को सफलता के शिखर पर ले जाने वाले कैलाश खेर के हर उम्र के फैन हैं। कैलाश का जन्म यूपी के मेरठ में 7 जुलाई 1973 को हुआ था। कैलाश के पिता पंडित मेहर सिंह खेर एक पुजारी थे और घरों में इवेंट में गाया करते थे। लेकिन कैलाश के लिए संगीत में सफलता पाना इतना आसान नहीं था। खासकर बॉलीवुड सिंगर बनने का सपना साकार करना बहुत मुश्किल था। हालांकि आज कैलाश 18 भाषाओं में करीब 300 गाने गा चुके हैं। एक इंटरव्यू में कैलाश ने अपने जीवन के मुश्किल भरे दिनों के बारे में बताया कि कैसे वह खुदखुशी करने के लिए गंगा नदी में कूद गए थे। आइये जानते हैं कैसा रहा कैलाश का सफर।

14 साल की उम्र में छोड़ा घर

कैलाश खेर के फैंस शायद ही जानते हों कि उन्होंने महज 14 साल की उम्र मे घर छोड़ दिया था। कैलाश को लगता था कि जो हुनर उनके अंदर है उसे निखारने के लिए एक गुरु की जरुरत है। घर छोड़ने के बाद कैलाश ने संगीत की शिक्षा देनी शुरु कर दी थी। उन्हें हर रोज इसके लिए 150 रुपये मिलते थे लेकिन कैलाश इससे संतुष्ट नहीं थे।

बिजनेस में मिला घाटा

कैलाश ने बताया कि उन्होंने कई तरह की नौकरियां भी की थी। जब वह 20 या 21 साल के थे तो उन्होंने दिल्ली में एक बिजनेस की शुरुआत की थी। लेकिन वह बिजनेस भी अचानक से ठप्प हो गया तो वह पूरी तरह टूट गए और पंडित बनने के लिए ऋषिकेश चले गए।

जब गंगा में कूदकर की थी आत्महत्या की कोशिश

कैलाश जिंदगी से निराश हो चुके थे। वह हर चीज में असफल हो रहे थे। इसलिए उन्होंने एक दिन गंगा में कूदकर सुसाइड करने की कोशिश भी की। लेकिन इसमें भी वह नाकाम रहे और घाट पर मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें बचा लिया।

कैलाश खेर को बचाने वाले व्यक्ति ने उनसे पूछा कि जब तैरना नहीं आता तो नदी में क्यों कूदे? तब उन्होंने उस व्यक्ति के साथ अपना दुख साझा किया, उनकी आत्महत्या की बात जानने के बाद उस व्यक्ति ने उनके सिर पर जोर से टपली मारी। उस टपली ने कैलाश खेर को जिंदगी की कीमत सिखा दी। कैलाश खेर ने इस वाक्य को याद करते हुए बताया कि उस घटना के बाद उन्होंने जिंदगी में कुछ करने की ठान ली।

ऐसे बनें स्टार

कैलाश जब फाइनली मुंबई आए तो वहां लगातार कोशिश करते रहे और एक दिन उन्हें गाने का चांस मिल ही गया। उन्हें फिल्म ‘अंदाज’ में सूफियाना गाना गाने का चांस मिला। ‘रब्बा इश्क न होवे’ गाने को कैलाश ने ऐसी शिद्दत से गया कि फिल्म रिलीज हुई तो इस गाने ने उनको रातों रात स्टार बना दिया। इसके बाद ‘अल्लाह के बंदे’ के बाद तो कैलाश काफी पॉपुलर हो गए थे। इसके बाद तो उनके पास ना गाने की कमी हुई ना ही शोहरत की।

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