
अहम बातें एक नजर में :
- हरियाणा में कलेक्टर रेट पहली बार 1987 में लागू हुए.
- 1990 से हर साल नए कलेक्टर रेट तय होने लगे.
- 2004-14 में कलेक्टर रेट्स की औसत वृद्धि 25.11% रही, जबकि मौजूदा सरकार में सिर्फ 9.69%
- स्टाम्प ड्यूटी: पुरुषों के लिए 7% और महिलाओं के लिए 5% (2008 से लागू).
- गुरुग्राम उदाहरण: 85.12 लाख का कलेक्टर रेट वाला प्लॉट 1.31 करोड़ में रजिस्टर्ड.
- पिछली सरकारों ने बिना फार्मूले के 100% से 300% तक रेट्स बढ़ाए.
- मौजूदा सरकार ने फार्मूले के तहत 2,46,812 सेगमेंट बनाए, जिनमें 72% में सिर्फ 10% वृद्धि.
- गौशाला जमीन पर स्टाम्प ड्यूटी 2019 में 1% की गई और 2025 से पूरी तरह माफ.
- 1 से 20 अगस्त तक हुईं 41,476 रजिस्ट्रियां, राज्य को 722.58 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी.
Haryana land Registry Update : हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जमीन की रजिस्ट्री और कलेक्टर रेट्स को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने साफ किया कि रजिस्ट्री पर स्टाम्प ड्यूटी देशभर में 1899 से ही सौदे के प्रतिशत के रूप में लगाई जाती है और इसमें कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है.
सीएम सैनी ने बताया कि प्रदेश में पहली बार कलेक्टर रेट की व्यवस्था 1987 में लागू हुई थी. शुरुआत में जिला उपायुक्त हर दो साल में अपने क्षेत्र के कलेक्टर रेट तय करते थे, लेकिन 28 नवंबर 1990 से हर साल नए कलेक्टर रेट निर्धारित किए जाने लगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक कलेक्टर रेट की औसत वृद्धि 25.11% रही, जबकि हमारी सरकार के 10 साल में यह औसत सिर्फ 9.69% है.
स्टाम्प ड्यूटी पर कोई नया बोझ नहीं
वहीं स्टाम्प ड्यूटी को लेकर भी उन्होंने साफ किया कि 2008 से 2% विकास शुल्क मिलाकर पुरुषों के लिए 7% और महिलाओं के लिए 5% स्टाम्प ड्यूटी तय है. यानी रजिस्ट्री पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला गया. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में एक प्लॉट जिसकी कीमत कलेक्टर रेट पर 85.12 लाख बनती थी, उसकी रजिस्ट्री 1.31 करोड़ में करवाई गई.
पिछली सरकारों में मनमाने कलेक्टर रेट्स
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान कलेक्टर रेट्स बिना किसी फार्मूले के मनमाने तरीके से बढ़ाए जाते थे. फरीदाबाद में 2008 में 300% और 2011-12 में 220% तक, करनाल में 2012-13 में 220% तक, महेंद्रगढ़ में 100% तक और झज्जर में 109% तक रेट्स बढ़ा दिए गए थे.
फार्मूले से तय हुए कलेक्टर रेट,
इसके उलट, हमारी सरकार ने एक निश्चित फार्मूले के तहत प्रदेश के सभी जिलों को सेगमेंट में बांटा. प्रदेश के 2,46,812 सेगमेंट में से 72% में सिर्फ 10% की वृद्धि की गई है. इतना ही नहीं, गौशालाओं की जमीन पर 2019 में स्टाम्प ड्यूटी घटाकर 1% की गई और 2025 से इसे पूरी तरह माफ कर दिया गया. मुख्यमंत्री ने बताया कि 1 अगस्त से 20 अगस्त तक प्रदेश में कुल 41,476 रजिस्ट्रियां हुईं, जिनसे राज्य को 722 करोड़ 58 लाख रुपये की स्टाम्प ड्यूटी प्राप्त हुई. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य पारदर्शिता और जनता पर न्यूनतम बोझ रखना है.
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