बिना नाम लिए किस नेता पर अखिलेश ने कसा तंज?, बोले… ‘…या फिर बाकी दो बेकाम हैं, नाकाम हैं’

Akhilesh Yadav to BJP

Akhilesh Yadav

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Akhilesh Yadav to BJP:  सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उनका काम दरबारी चारण की तरह करना बस स्तुतिगान है.

वहीं उन्होंने दो उप मुख्यमंत्रियों के होने पर भी तंज कसा. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया कि कोई ‘उप’ डबल हार के ‘उपहार’ के बाद भी डबल इंजन का प्रशंसा-प्रमाणपत्र बाँट रहे हैं। अगर माननीय सही काम कर रहे होते तो दो ‘उप मुख्यमंत्री’ की क्या ज़रूरत पड़ती। इसका मतलब या तो वो सही काम नहीं कर रहे हैं या फिर बाकी दो बेकाम हैं, नाकाम हैं, और उनका काम दरबारी चारण की तरह करना बस स्तुतिगान है। अगर उप सच में उपयोगी होते हैं, तो दिल्ली के मंडल में भी होने चाहिए थे, परंतु हैं नहीं! इसका जवाब देंगे ‘उप’ या रहेंगे ‘चुप’?

यूपीएससी में लेट्रल एंट्री मामले पर भी उठाए सवाल

वहीं अखिलेश ने यूपीएससी में लेट्रल एंट्री मामले में भी केंद्र सरकार को घेरा है. इस मुद्दे पर भी उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे।

‘सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की’

उन्होंने पोस्ट किया कि दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिह्न लगा रहेगा।

‘सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे’

कहा कि देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरों वाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।

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