US Presidential Debate : राष्ठ्रपति चुनाव से पहले हुए दूसरी प्रेशिडेंशियल डिबेट में आमने-सामने आरोपों के घेरे में खड़े हुए डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस

US Presidential Debate
US Presidential Debate : अमेरिका में पांच नवंबर को होने जा रही है राष्ठ्रपति चुनाव। इस चुनेव से पहले बुधवार को दूसरी प्रेशिडेंशियल डिबेट हुई। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप, दोनों नेताओं ने अपना पक्ष रखा। यह डिबेट फिलाडेल्फिया के नेशनल कांस्टीट्यूशन सेंटर में हुई।
इस प्रेशिडेंशियल डिबेटी में स्वास्थ्य नीतियों, राष्ट्रय सुरक्षा, आर्थिक नीतियों और नौकरी के मुद्दों पर दोनो नेता अपनी अपनी बात रख रहे थे। जून में हुए पहले प्रेशिडेंशियल डिबेटी में ट्रंप और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच मुकाबला हुआ था, मगर बाइडन के इस रेस से हट जाने के बाद अब उनके सामने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस मैदान में खड़ी हैं।
डिबेटी के दौरान जब अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी को लेकर ट्रंप और हैरिस से सवाल किया गया तो हैरेस ने बाइडन की नीतियों से सहमती जताते हुए कहा कि यह भी याद रखना जरूरी है कि किस परिस्थितियों में वापसी हुई थी। उन्होंने तालिबान को कैंप डेविड बुलाने का ट्रंप पर आरोप लगाया। खुद पर लगे आरोप का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें तालिबान से बात इसलिए की थी क्योंकि वो हत्याएं कर रहे थे। साथ ही यह भी कहा कि अगर उस समय वो राष्ट्रपति होते तो कोई भी अमेरिकी अफगानिस्तान में नहीं छूटता।
आर्थिक स्थिति पर सवाल
जब दोनों नेताओं से चार साल पहले की तुलना में अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर सवाल कियी गया तो हैरिस ने कहा कि अवसरों की अर्थव्यवस्था बनाने की योजना उनके पास है। ट्रंप पर हमला करते हुए हैरिस ने कहा कि अमेरिका को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों पर ट्रंप के सेल टैक्स का सामना करना पड़ेगा मगर अरबपतियों और व्यपारियों के लिए टैक्स को कम करने की योजना बनाई है।
गर्भपात के अधिकार पर सवाल
गर्भपात को लेकर भी सवाल किया गया कि क्या इसका अधिकार होना चाहिए। डेमोक्रेटिक पार्टी पर ट्रंप ने हमला करते हुए कहा कि डेमोक्रेटिक तो गर्भावस्था के ‘नौवें महीने’ में भी गर्भपात का अधिकार देना चाहते हैं और डेमोक्रेट को कट्टरपंथी बताया। डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हैरिस गर्भपात के मुद्दे को लेकर बहुत संवेदनशाल मानी जाती हैं।
ट्रंप के आरोप के जवाब में हैरिस ने कहा कि “मैंने महिलाओं से बात की है। अपने आप हो जाने वाले गर्भपात से पीड़ित महिलाओं की इमरजेंसी में भी अस्पतालों में देखभाल नहीं की जा रही है।”
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