आस्था या अंधविश्वास: महुआधाम में दूर होती बीमारियां और प्रेत बाधा

Faith or Superstition

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Faith or Superstition: आस्था और अंधविश्वास में एक बारीक रेखा का फर्क है। कभी-कभी कुछ ऐसे मंजर देखने को मिलते हैं कि जहां हम यह निर्णय नहीं ले पाते कि इसे आस्था कहें या अंधविश्वास। ऐसी ही नजारा देखने को मिलता है बिहार के औरंगाबाद जिले में। यहां जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर कुटुम्बा प्रखंड स्थित महुआधाम में आस्था का रूप अलग है।

Faith or Superstition: 50 साल पहले ग्रामीणों ने कराया था मंदिर निर्माण

महुआधाम में माता अष्टभुजा की प्रतिमा स्थापित है। यहां लगभग 50 साल पहले ग्रामीणों ने एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। स्थानीय लोगों की मानें तो इस धाम में भूतों का मेला लगता है। यहां आने से लाइलाज बीमारी तथा प्रेत बाधा से छुटकारा मिलता है।

Faith or Superstition:  ‘माता की कृपा से दूर होते बड़े-बड़े रोग’

जब हिन्दी ख़बर की टीम इस मंदिर गई तो वहां का नजारा ही अलग था। मंदिर और आसपास मौजूद लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो जाती है। उनका विश्वास है कि यदि किसी व्यक्ति पर प्रेत बाधा या बुरा साया हो तो माता की कृपा से ये बाधा भी समाप्त हो जाती है।

Faith or Superstition:  ‘मातारानी देतीं प्रेतों को सजा’

भक्तों की मानें तो मातारानी के दरबार में आने पर प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति के शरीर मे कुछ अजीब सी हरकतें होने लगती हैं। वह गिरने, स्वयं को पटकने तथा झूमने लगता है। वह तबतक इसी तरह की हरकत करता है जब तक उसके शरीर से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नहीं हो जाता है। लोगों ने यह भी बताया कि यहां साल के दोनों नवरात्र में माता रानी का विशेष दरबार लगता है। इस विशेष दरबार में माता रानी प्रेतों को सजा देती हैं।

Faith or Superstition: नाली के पानी में तड़पता प्रेतबाधा से ग्रसित शख्स

मंदिर के पास एक मिट्टी का कुंड है। इसमें नाली का पानी जमा होता है। इसे नरक कुंड के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है, जिस व्यक्ति के ऊपर प्रेत आत्मा का प्रभाव रहता है उसे मातारानी द्वारा सजा सुनाई जाती है। इससे व्यक्ति स्वतः नरक कुंड में जा कर गिर जाता है। तब तक वह नरक कुंड में तड़पता है, जब तक उस व्यक्ति से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नहीं हो जाता। प्रेतआत्मा का प्रभाव समाप्त होते ही वह व्यक्ति स्वंय वहां से निकल कर आ जाता है।

‘जिला प्रशासन ने नहीं कोई व्यवस्था’

लोगों ने बताया कि आज तक यहां जिला प्रसासन द्वारा किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन श्रद्धालुओं के रुकने की कोई भी व्यवस्था नहीं है।

गंदगी का अंबार, सुरक्षा इंतजाम नहीं

ग्रामीणों द्वारा झोपड़ी नुमा विश्राम गृह बनाए गए हैं। इसमें श्रद्धालु शरण लेते हैं। यहां स्वास्थ्य सेवाओं का भी अभाव है। सामुदायिक शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह गंदगी का अंबार है। आरोप है कि प्रशासन ने सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किए हैं।

रिपोर्ट: दीनानाथ मौआर, संवाददाता, औरंगाबाद, बिहार

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