Court case against Mahindra & Mahindra: ‘गड़बड़ हैं महिंद्रा की कार’ कोर्ट में हार, लगी फटकार

Court case against Mahindra & Mahindra
Court case against Mahindra & Mahindra: देश के नामचीन उद्योगपति आनंद महिंद्रा की कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है. गाजियाबाद में सामने आए एक मामले से ये बात साफ हो गई है कि महिंद्रा की गाड़ियां गड़बड़ हैं. गाजियाबाद के एक ग्राहक मनोज कुमार शर्मा ने कंज्यूमर कोर्ट में महिंद्रा के खिलाफ केस जीता है. उनका केस वरिष्ठ अधिवक्ता केके शर्मा ने लड़ा. मनोज कुमार शर्मा ने केस दायर करते हुए शिकायत की थी कि उनकी नई महिंद्रा XUV-500 कार में शो रूम से सड़क पर उतरते ही खामियां सामने आ गईं थी. नई कार में ही इग्निशन सिस्टम, ब्रेकिंग, लाइट और ऑटो सेंट्रल लॉक में खामियां निकल आई थीं. 13 साल चले केस में महिंद्रा कंपनी की कोर्ट में हार हुई और अब कंपनी को कार की पूरी कीमत 10 फीसदी ब्याज के साथ चुकानी होगी.
संतुष्टि के नाम पर झूठे आश्वासन!
दमदार गाड़ियां बनाने का दावा करने वाली देश की नामचीन ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा ग्राहक के साथ की गई नाइंसाफी का एक मामला सामने आया. अब सवाल उठता है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा क्या ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करती है? क्या महिंद्रा कंपनी ग्राहकों को नई गाड़ी के नाम पर गड़बड़ी वाली गाड़ी बेचती है? क्या महिंद्रा की नई गाड़ियों में शो रूम से सड़क पर उतरते ही खराबी आने लगती है? ग्राहकों की सेवा और संतुष्टि के नाम पर महिंद्रा कंपनी झूठे आश्वासन देती है?
मनोज शर्मा ने भुगता है खामियाजा
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से जो मामला सामने आया है वो मामला इन तमाम सवालों को मजबूती दे रहा है…गाजियाबाद के शास्त्री नगर के रहने वाले मनोज कुमार शर्मा के मुताबिक उन्होंने तकरीबन 13 साल तक महिंद्रा एंड महिंद्रा की धोखाधड़ी का खामियाजा भुगता है…कंपनी की तरफ से उन्हें किस तरह परेशान किया गया और झूठे आश्वासन देकर सालों तक टाला जाता रहा ये मनोज कुमार शर्मा की जुबानी ही सुन लीजिए…
लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता केके शर्मा ने मनोज कुमार शर्मा के लिए लंबी कानूनी लड़ी और आखिर 9 अप्रैल 2024 को मनोज कुमार शर्मा को इंसाफ मिला. महिंद्रा एंड महिंद्रा के खिलाफ लड़ी गई इस लड़ाई की शुरूआत साल 2011 में हुई थी.
गाड़ी की खराबी के चलते हुए थे एक्सीडेंट के शिकार
बता दें कि मनोज कुमार शर्मा ने 2011 में 13,32,000 रुपए में महिंद्रा XUV-500 खरीदी थी. कार के सड़क पर उतरते ही उसमें कई तरह की कमियां सामने आने लगी थीं. इग्निशन सिस्टम, ब्रेकिंग, लाइट और ऑटो सेंट्रल लॉक में खामियां निकल आई थीं. महिंद्रा के सर्विस सेंटर ने पहली सर्विस के बाद खामियां दूर करने का वादा किया था. बार-बार कार में खराबी आने के बावजदू कंपनी से सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे. गाड़ी में खराबी के चलते 2012 में मनोज कुमार शर्मा एक्सीडेंट का शिकार हो गए. मनोज कुमार ने परेशान होकर 2013 में गाजियाबाद कंज्यूमर कोर्ट का रुख किया.
कंपनी को करनी होगी भरपाई
कंज्यूमर कोर्ट ने महिंद्रा को नई कार देने या पूरा भुगतान करने का आदेश दिया. महिंद्रा कंपनी ने आदेश मानने के बजाए स्टेट कमीशन में अपील दायर कर दी. स्टेट कमीशन की लखनऊ बेंच ने भी जिला कंज्यूमर कोर्ट के फैसले को कायम रखा. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने फैसला नहीं माना और नेशनल कमीशन का रुख कर लिया. नेशनल कमीशन में भी महिंद्रा एंड महिंद्रा की हार हुई. केस हारने के बाद महिंद्रा कंपनी को कार का पूरा भुगतान करना होगा.
उठते हैं ये सवाल
मनोज कुमार शर्मा की कहानी से ये बात साफ हो जाती है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी ग्राहकों की परेशानियों को बेहद हल्के में लेती है…अगर नई कार में कोई दिक्कत आ जाए तो उसे ठीक कराने में ग्राहकों के पसीने छूट जाते हैं…सर्विस सेंटर के चक्कर लगाते-लगाते ग्राहकों को सालों गुजर जाते हैं…मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि उनकी ये कहानी और कानूनी लड़ाई उन तमाम लोगों के लिए एक सबक और सीख है जो महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी की गाड़ियां खरीदते हैं…क्योंकि पता नहीं उनके जैसे कितने ग्राहक होंगे जो महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी की इस धोखाधड़ी का शिकार होंगे…और अदालतों के चक्कर लगा रहे होंगे…सवाल ये भी है कि सोशल मीडिया पर समाज सेवा और समर्पण का ढोल पीटने वाले आनंद महिंद्रा साहब आखिर ग्राहकों के इस दर्द पर आपका ध्यान क्यों नहीं जाता.
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