
MP OBC Reservation : मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने की दिशा में एक बड़ी प्रगति हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को “टॉप ऑफ द बोर्ड” श्रेणी में रखते हुए 23 सितंबर 2025 से प्रतिदिन सुनवाई करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए तर्कों को अदालत ने गंभीरता से लिया है, जिससे इस संवेदनशील मसले के जल्द समाधान की उम्मीद बढ़ गई है.
राज्य सरकार के तर्कों को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज और राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए स्थगन (स्टे) के चलते नई भर्तियों में रुकावटें आ रही हैं. अदालत ने राज्य सरकार की इस चिंता को जायज़ माना और मामले को प्राथमिकता से सुनने का निर्णय लिया.
23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में होगी रोजाना सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 2025 से मामले की प्रतिदिन सुनवाई का ऐलान किया है. अदालत ने इस केस को “टॉप ऑफ द बोर्ड” में रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतिम निर्णय आने तक लगातार सुनवाई होगी. यह OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है.
2019 संशोधन अधिनियम बना बहस का केंद्र
यह मामला मध्यप्रदेश लोक सेवा (SC, ST और OBC के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 से जुड़ा है, जिसमें OBC वर्ग के लिए आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया गया था. इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दिए जाने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जताई प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहले ही विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान स्पष्ट किया था कि प्रदेश सरकार OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा था, हम डंके की चोट पर कह रहे हैं कि 27% आरक्षण देंगे. जिन विभागों में स्टे नहीं है, वहां पहले ही 27% आरक्षण लागू किया जा चुका है, और जहां कोर्ट में मामला लंबित है, वहां भी सरकार अपना पक्ष पूरी ताक़त से रख रही है.

निर्णय की ओर बढ़ता प्रदेश
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई की घोषणा कर दी है, यह साफ है कि प्रदेश में OBC आरक्षण से जुड़ी जटिलताओं पर शीघ्र ही स्पष्टता आएगी. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि वह सामाजिक न्याय को लेकर गंभीर है और हर स्तर पर प्रयास कर रही है. अब निगाहें 23 सितंबर से शुरू हो रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी होंगी.
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