Parliament Security Breach की आरोपी दे रही मौलिक अधिकारों की दुहाई

Parliament Security Breach:
13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा में चूक मामले(Parliament Security Breach) में आरोपी नीलम आजाद को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। दरअसल नीलम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए तत्काल रिहाई की मांग की है। नीलम ने 21 दिसंबर तक के रिमांड आदेश की वैधता को चुनौती दी है।
हाईकोर्ट में दायर की याचिका
इस याचिका में नीलम ने अपने बचाव के लिए अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने की अनुमति ना मिलने की बात कही है। नीलम ने कोर्ट से कहा कि अपने पसंद के वकिल से उसे बात करने की इजाजत नहीं दी गई है। जो यह उसके मौलिक अधिकारों में से एक हैं। और इन्हीं अधिकारों का उल्लंघन है कि उसके वकील से उसे बात ना करने देना। इसी के साथ नीलम के द्वारा कोर्ट के आदेश को भी गैरकानूनी बताया गया है।
ट्रायल कोर्ट ने लिया फैसला
आपको बता दें कि ट्रायल कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार नीलम की न्यायिक हिरासत में 5 जनवरी तक के लिए भेज दिया है। इसी संबंध में उसने कोर्ट से बुधवार को कोर्ट से रिहाई की मांग भी की है। ऐसे में सवाल यह सामने आता है कि क्या नीलम को इस मामले में रिहाई दी जा सकती है, या नहीं?
क्या कोर्ट देगा रिहाई के आदेश?
आपको बता दें कि यदि कोई व्यक्ति जिसे यह लगता है कि उसे अवैध रुप से हिरासत में लिया गया है। ऐसे मामले में वह व्यक्ति उच्च न्यायालय या फिर उच्चतम में बंधी प्रत्यक्षीकरण याचिका को दायर कर सकता है। ऐसे में यदि कोर्ट को भी हिरासत अवैध लगती है, तो उस समय वह रिहाई का आदेश दे सकती है।
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