
मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) होने है। जिसको लेकर कांग्रेस एक दम सक्रिय मूड में नजर आ रही है। पिछलें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दलित वोटरों (Dalit Voters) की बदौलत ही ग्वालियर चंबल अंचल में 33 साल बाद कामयाबी मिली थी।
यही वजह है कि कांग्रेस (Congress) इस क्षेत्र पर पैनी नज़र बनाई हुई है। ग्वालियर चंबल अंचल में दलित वोटर काफी मात्रा में है। इसी चीज़ को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस रविदास जयंती के अवसर पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित करवा रही है। 5 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कई बड़े दिग्गज इस आयोजन में शामिल होंगे।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता तैयारियों में जुट गए हैं. ग्वालियर (Gwalior) से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने दावा किया है कि, कांग्रेस दलितों की पार्टी है. कांग्रेस हर वर्ग को साथ लेकर चलती है। भाजपा कई गुटों में बंट गई है इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा और कांग्रेस की सत्ता में वापसी भी होगी.
2018 में चंबल से हुआ भाजपा का सफाया
आपको बता दें कि ग्वालियर चंबल अंचल में 34 सीट है। 7 सीट एससी के लिए आरक्षित है। 2018 विधानसभा चुनाव में दलितों की नाराजगी के कारण कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थी। 1985 के बाद 33 साल बाद ऐसा देखने को मिला था। प्रदेश में कमलनाथ (Kamalnath) के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार बनी थी.
आपको बता दें कि सिंधिया के दल-बदल करने से 15 महीने बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। उसके बाद शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया गया। कांग्रेस 2018 विधानसभा चुनाव में दलित और आदिवासी वोट बैंक के चलते लंबा वनवास काट कर सत्ता में आयी थी। दलित वोट बैंक को अपने कब्जे में लाने के लिए कांग्रेस अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। वही इस कार्यक्रम पर भाजपा ने तंज कस्ते हुए कहा है कि कांग्रेस दलितों की सबसे बड़ी विरोधी है।
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