
नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों ने बड़ी कंपनियों पर ज्यादा और वाजिब टैक्स लगाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया है।
दुनियाभर के 136 देश बड़ी कंपनियों पर कम से कम 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स लगाने पर सहमत हुए हैं। इसके अलावा कंपनियों के मुनाफ़े पर भी वाजिब कर लगाने को लेकर भी देशों में सहमति बनी है।
चिंताएं ज़ाहिर की जा रही थीं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने टैक्स बचत के लिए कम कर वाले देशों में मुनाफ़े दिखा रही हैं। इसी जानकारी के इल्म में आने के बाद ये समझौता किया गया है।
लेकिन आलोचकों का मानना है कि 15 फ़ीसदी कार्पोरेट टैक्स काफी कम है और कंपनियां इससे भी बचने के रास्ते निकाल लेंगी।
ब्रितानी वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने बताया है कि इस समझौते से वैश्विक टैक्स प्रणाली अपग्रेड होगी और उससे नए दौर के हिसाब से ढाला जा सकेगा।
उन्होंने कहा, “अब बड़ी कंपनियां जहां भी कारोबार करेंगी, अपने हिस्से का वाजिब कर देंगी।”
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने कई दशकों से न्यूनतम टैक्स दर तय करने के लिए अभियान चलाया हुआ था।
ओईसीडी का कहना है कि इस समझौते के बाद टैक्स के रूप में कम से कम 150 अरब डॉलर प्रतिवर्ष का अतिरिक्त धन मिलेगा जो कि टैक्स द्वारा आएगा और इससे महामारी से निकल रही मुल्कों की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने में मदद मिलेगी।