
Uttarakhand News : सुबह करीब सात बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप की वजह से वरुणावत पर्वत के भूस्खलन जोन से मलबा और पत्थर गिरे। जिसके बाद दोबारा आठ बजकर बीस मिनट पर फिर झटके महसूस हुए।
उत्तरकाशी और आसपास के कई क्षेत्रो में शुक्रवार की सुबह दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के दहशत के चलते लोग घरों से बाहर निकल आए। लोगों में भय का माहौल है। आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से सभी तहसीलों से जानकारी जुटाई जा रही है। बताया जा रहा है कि पहले सुबह करीब सात बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप के कारण वरुणावत पर्वत के भूस्खलन जोन से मलबा और पत्थर गिरे। जिसके बाद दोबारा आठ बजकर 20 मिनट पर फिर झटके महसूस हुए।
अधिक दबाव बनता है
बता दे कि पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने कि वजह से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब अधिक दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप का कंपन अधिक होता है
भूकंप का केंद्र उस जगह को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। भूकंप का कंपन अधिक होता है कंपन की आवृत्तिदूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या उससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर की तरफ है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
एपीसेंटर से मापा जाता
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को एक से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के अन्दर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
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