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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया चीतों की मौत नॉर्मल, कूनो के अनसूटेबल होने की बात गलत

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार मौतों ने विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है। अभी तक यहां 8 चीतों की मौत हो चुकी है। इसी बीच फिर से चीतों की मौत हो गई है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि आखिर चीतों की लगातार मौतें क्य़ों हो रही हैं। जिसपर केंद्र सरकार ने सफाई देते हुए सोमवार को कोर्ट को बताया कि अफ्रीका से भारत लाए गए 5 वयस्क चीतों और 3 शावकों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। सरकार की ओर से कहा गया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थल के अनसूटेबल होने की बात गलत है। साथ ही कुनो में 15 जीवित चीतों और एक शावक के लिए वैकल्पिक आवास की संभावना को खारिज कर दिया गया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। इससे पहले दायर जवाब में केंद्र ने कहा कि एक्शन प्लान के अनुसार और चीतों को लाने के लिए वैकल्पि स्थल तैयार किए जा रहे हैं।

 बता दें सरकार ने अपनी दलील में जंगल में चीतों के जीवित रहने को लेकर सामान्य वैज्ञानिक जागरूकता का हवाला दिया। इस आधार पर केंद्र ने कहा कि इन मांसाहारियों की गैर-परिचित आबादी में भी वयस्कों में जीवित रहने की दर 50% से कम है। नए निवास स्थान में लाए जाने की स्थिति में यह दर और भी कम हो जाती है, जिससे शावकों के लगभग 10% जीवित रहने की संभावना रहती है।

बता दें हलफनामे में कहा गया कि मृत्यु दर परेशान करने वाली जरूर है। इसका हल निकाले जाने की जरूरत है, मगर यह अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है। अप्राकृतिक कारणों से नहीं हुई चीतों की मौत चीते के शवों का विश्लेषण करते हुए हलफनामें में कहा गया कि मौत की घटनाएं प्राकृतिक कारणों की ओर इशारा करती हैं। किसी भी चीते की मौत अप्राकृतिक कारणों जैसे अवैध शिकार, जहर, सड़क पर हमला, बिजली का झटका आदि से नहीं हुई। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह की ओर से यह हलफनामा दायर किया गया। इसमें कहा गया, ‘एनटीसीए के पास आज यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि कूनो साइट के अनसूटेबल होने के चलते मौतें हुई हैं।

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