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Punjab : सरकार का नशे के खिलाफ बड़ा कदम, स्कूलों में शुरू हुआ नशा निवारण पाठ्यक्रम

War Against Drugs : पंजाब सरकार ने नशे के खिलाफ अपनी मुहिम ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ के तीसरे चरण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को पंजाब भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए एक अनूठा नशा निवारण पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान 1 अगस्त को फाजिल्का जिले के अरनीवाला में करेंगे. यह पाठ्यक्रम नौजवानों को नशे से बचाने और उन्हें जागरूक बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है.


जे-पॉल साउथ एशिया के सहयोग से तैयार पाठ्यक्रम

हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि यह पाठ्यक्रम नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी के नेतृत्व वाले संगठन जे-पॉल साउथ एशिया के सहयोग से तैयार किया गया है. प्रमुख व्यवहार वैज्ञानिकों की मदद से डिज़ाइन किया गया यह पाठ्यक्रम लगभग 8 लाख विद्यार्थियों को नशे से बचाव की जानकारी और कौशल प्रदान करेगा. यह 35 मिनट के सत्रों पर आधारित होगा, जो हर 15 दिन में एक बार, 27 सप्ताह तक आयोजित किए जाएंगे. डाक्यूमेंट्री, क्विज़, पोस्टर और इंटरैक्टिव गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को नशे से संबंधित मिथकों को तोड़ने, समूह दबाव से बचने और सोच-समझकर निर्णय लेने की रणनीतियां सिखाई जाएंगी.


3,658 स्कूलों में 8 लाख विद्यार्थियों तक पहुंच

शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह नशा निवारण पाठ्यक्रम पंजाब के 3,658 स्कूलों में लागू होगा, जिसमें 6,500 से अधिक प्रशिक्षित शिक्षक कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 8 लाख विद्यार्थियों को नशे के खिलाफ सशक्त बनाएंगे. यह कार्यक्रम न केवल नशे से बचाव के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगा, बल्कि पंजाब की शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगा. यह पहल विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


साक्ष्य-आधारित कार्यक्रम और परिणाम

यह पाठ्यक्रम साक्ष्य-आधारित है और इसे जे-पॉल साउथ एशिया द्वारा किए गए रैंडम ट्रायल्स के आधार पर विकसित किया गया है. वर्ष 2024-25 में अमृतसर और तरनतारन के 78 सरकारी स्कूलों में 9,600 विद्यार्थियों पर किए गए ट्रायल्स में उत्साहजनक परिणाम सामने आए. परिणामों से पता चला कि इस पाठ्यक्रम ने विद्यार्थियों में नशे के जोखिमों के प्रति जागरूकता में उल्लेखनीय सुधार किया. उदाहरण के लिए, 90% विद्यार्थियों ने समझा कि ‘चिट्टा’ जैसे नशीले पदार्थों को एक बार आज़माने से भी लत लगने का खतरा है, जबकि नियंत्रण समूह में यह आंकड़ा 69% था. साथ ही, यह भ्रांति कि ‘इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है’ पर विश्वास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 50% से घटकर 20% रह गई.


नशे के खिलाफ पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाब में नशे का संकट दशकों तक चली व्यवस्थागत उपेक्षा और पिछली सरकारों के संरक्षण के कारण गहराया है. उन्होंने गर्व के साथ कहा कि पंजाब भारत का पहला राज्य है, जिसने स्कूल स्तर पर एक प्रमाण-आधारित नशा निवारण पाठ्यक्रम लागू किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नशे के खिलाफ जंग थानों से नहीं, बल्कि कक्षाओं से शुरू होती है. बैंस ने बताया कि मार्च 2025 में शुरू हुई ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ मुहिम के तहत अब तक 23,000 से अधिक नशा तस्करों को जेल भेजा गया, उनकी संपत्तियां ज़ब्त की गईं और 1,000 किलोग्राम से अधिक हेरोइन बरामद की गई. यह दर्शाता है कि पंजाब सरकार नशे की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए कटिबद्ध है.


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