
फटाफट पढ़ें
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गयाजी में पिंडदान किया
- विष्णुपद मंदिर में पूर्वजों की आत्मशांति की प्रार्थना
- पिंडदान के लिए मंदिर परिसर में विशेष इंतजाम रहे
- गयाजी में राष्ट्रपति के आगमन पर सुरक्षा बढ़ाई गई
- पितृपक्ष मेले का 15वां दिन, 21 सितंबर तक जारी रहेगा
President Draupadi Murmu : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शनिवार को गयाजी पहुंची, जहां उन्होंने विष्णुपद मंदिर में अपने पूर्वजों की आत्मशांति और मोक्ष की प्रार्थना करते हुए पिंडदान किया. राष्ट्रपति विष्णुपद मंदिर पहुँचने के लिए गया अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विशेष विमान से पहुंची. इसके बाद सड़क मार्ग से विष्णुपद मंदिर पहुंची. इस दौरान बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी उनके साथ मौजूद थे.
वैदिक विधियों से संपन्न हुआ पिंडदान
राष्ट्रपति के पिंडदान के लिए जिला प्रशासन ने विष्णुपद मंदिर परिसर में विशेष इंतजाम किए थे. एल्यूमिनियम फैब्रिकेटेड हॉल में तीन कक्ष बनाए गए थे. जिनमें से एक कक्ष में राष्ट्रपति ने अपने परिवार के साथ पिंडदान किया. गयापाल पुरोहित राजेश लाल कटरियार के नेतृत्व में वैदिक क्रियाओं के साथ धार्मिक अनुष्ठान कराया गया. वह पहली बार अपने पूर्वजों का पिंडदान करने गया पहुंची थीं. वो दो घंटे गयाजी में रुकीं और पूरे विधी विधान के साथ पिंडदान किया.
राष्ट्रपति के आगमन पर विष्णुपद मंदिर में कड़ी सुरक्षा
इस दौरान विष्णुपद मंदिर और आस पास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई. एयरपोर्ट से लेकर विष्णुपद मंदिर तक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई. एयरपोर्ट से राष्ट्रपति गेट संख्या पांच से, घुघरीटांड़, बाईपास और बंगाली आश्रम होते हुए विष्णुपद मंदिर पहुंची थी.
राष्ट्रपति के दौरे को लेकर ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव
इस दौरान कई स्थानों पर बैरिकेडिंग कर आम लोगों के लिए कुछ देर तक आवागमन को बंद कर दिया गया. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव किया गया था. निर्धारित मार्ग पर आम वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया.
गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला अपने 15वें दिन में प्रवेश कर चुका है, जो 21 सितंबर तक चलेगा. गया श्राद्ध का आज 14वां दिन है. इस दिन वैतरणी सरोवर पर तर्पण और गौदान का विशेष विधि विधान किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि वैतरणी वेदी पर स्नान और तर्पण करने से पिंडदानी के 21 कुलों का उद्धार होता है.
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