
Prashant Kishor : बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने खुद उसकी जिम्मेदारी ली है। पीके का दावा है कि उनकी ही कुछ गलतियां रही होंगी जिसके कारण जनता ने उन्हें चुनने से इनकार कर दिया। जनता की उम्मीद न पूरा करने के लिए प्रायश्चित स्वरुप पीके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये ऐलान किया था कि वह 20 नवंबर को एक दिन का मौन व्रत करेंगे।
एक दिवसीय मौन उपवास समाप्त
प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को भितिहरवा गांधी आश्रम में अपना एक दिवसीय मौन उपवास समाप्त किया। उपवास तोड़ने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महात्मा गांधी की प्रेरणा से पुनः जन आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया।
सभी 1,18,000 वार्डों में जाकर करेंगे जनसंवाद
प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज की मूल सोच यह है कि सिर्फ सरकार या सत्ता परिवर्तन से व्यवस्था नहीं बदलती, बल्कि समाज के भीतर बदलाव लाना ज़रूरी है। उन्होंने दावा किया कि आगामी 15 जनवरी से वे बिहार के सभी 1,18,000 वार्डों में जाकर बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान के तहत जनता से सीधा संवाद करेंगे। इस दौरान वे सरकार द्वारा किए गए वादों की वास्तविक स्थिति जनता के सामने रखेंगे और उन्हें पूरा कराने की पहल भी करेंगे।
‘ढाई वर्षों में जन सुराज जन-परिवार के रूप में उभरा’
उन्होंने बताया कि पिछले ढाई वर्षों में जन सुराज एक बड़े जन-परिवार के रूप में उभरा है। उन्होंने बिहार की राजनीति में लंबे समय से जातीय विभाजन, पैसे की ताकत और धार्मिक ध्रुवीकरण हावी होने की बात कही, जिसका असर चुनावों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
‘खाई को भरने में टाइम लगेगा’
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार की जनता में अपार ताकत है, लेकिन वर्षों से बनी खाई को भरने में समय लगेगा। उनका मानना है कि बिहार में वास्तविक परिवर्तन तभी संभव है, जब समाज स्वयं जागरूक होकर अपने अधिकार और कर्तव्य को समझे।
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