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बीजेपी सांसद नारायण राणे की बढ़ी मुश्किल, संजय राउत से जुड़े मामले में कोर्ट ने खारिज की याचिका

Narayan Rane Plea Rejected : मुंबई की एक अदालत ने बीजेपी सांसद नारायण राणे की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा दायर मानहानि केस में जारी समन को चुनौती दी गई थी. उन्हें समन भी जारी किया गया है.

मुंबई की एक कोर्ट ने राज्यसभा सांसद संजय राउत की मानहानि से जुड़े मामले में जारी समन के खिलाफ बीजेपी सांसद नारायण राणे की याचिका खारिज कर दी है. बीते बुधवार को कोर्ट ने यह फैसला लिया. संजय राउत ने 15 जनवरी, 2023 को भांडुप उपनगर में आयोजित कोंकण महोत्सव में अपने बारे में कथित रूप से ‘दुर्भावनापूर्ण और झूठी’ टिप्पणी करने के लिए नारायण राणे के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था.

बीजेपी सांसद को समन जारी किया था

नारायण राणे ने कथित तौर पर कहा था कि संजय राउत का नाम मतदाता सूची में नहीं है और जब वह (नारायण राणे) शिवसेना में थे, तब उन्होंने राज्यसभा चुनाव में संजय राउत की मदद की थी. शिकायत का संज्ञान लेते हुए, मझगांव की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने अप्रैल में बीजेपी सांसद को समन जारी किया था.

उनके खिलाफ मानहानि का मामला नहीं बनता

नारायण राणे ने सांसदों और विधायकों के मामलों की विशेष अदालत में समन को चुनौती दी और कहा कि उनके खिलाफ मानहानि का मामला नहीं बनता. नारायण राणे ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि मजिस्ट्रेट ने ‘बिना कोई ठोस वजह बताए और न्यायिक विवेक का उपयोग किए’ समन जारी किया.

छवि को सार्वजनिक रूप से नुकसान पहुंचा

वहीं दूसरी तरफ, संजय राउत के वकील सार्थक शेट्टी ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट के आदेश में कोई अवैधता नहीं है और यह मानहानि का स्पष्ट मामला है. वकील ने कोर्ट में कहा कि बयान से शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत की छवि को सार्वजनिक रूप से नुकसान पहुंचा है, इसलिए समन पूरी तरह उचित है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने बुधवार को नारायण राणे की याचिका खारिज कर दी. विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है. मजिस्ट्रेट के सामने समक्ष मानहानि मामले की सुनवाई जारी रहेगी.

दो प्रमुख नेताओं के बीच सीधी तकरार

अब यह तय करना स्पेशल कोर्ट के ऊपर है कि नारायण राणे के इस बयान ने वास्तविक तौर पर संजय राउत की छवि को नुकसान पहुंचाया है या नहीं? यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें महाराष्ट्र की राजनीति के दो प्रमुख नेताओं के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है.

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