Mathura: बलदाऊ की नगरी में हुरंगे का आयोजन, हजारों की संख्या में शामिल हुए श्रद्धालु

Mathura: श्री कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ की नगरी बलदेव में आज विश्व प्रसिद्ध हुरंगे का आयोजन किया गया। देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पंडा समाज की हुरियारिनो ने पंडा समाज के हुरियारो के कपड़े फाड़ कर उसी का कोडा बनाकर हुरियारों पर कोड़े बरसाए। टेसू के फूल से रंग बने और अबीर गुलाल से बलदेव का हुरंगा हुरंगा खेला गया।
हुरंगे की मस्ती में मस्त हुई समूची बलदेव नगरी
भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जिन्हें शेषनाग का अवतार कहा जाता है, जो ब्रज के राजा है। उन्हीं की नगरी बलदेव में आज हुरंगा का आयोजन किया गया। यह हुरंगा अदितीय पर्व है हुरंगे की शुरुआत दोपहर से ही हो जाती है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। ग्वालों का समूह अपने नायक (बलराम) को हुरंगा खेलने का आमंत्रण देता है। इसके बाद मंदिर में हुरंगा अपने रूप को धारण करता है। हुरियारो का समूह हुरियारिनो पर टेसू के रंग की बरसात करता है।
इसके बाद हुरियारिनो का समूह हुरियारो के समूह के वस्त्रों को फाड़कर उसका कोडा बनाती हैं .ओर कोडो की बरसात हुरियारो पर करती है। टेसू के फ़ूलो से बने रंग को भी हुरियारे और हुरियारिन एक दूसरे के ऊपर डालते हैं। इस हुरियारे ओर हुरियारिनो के समूह में केवल पंडा समाज के लोग ही शामिल होते हैं .यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस हुरगे की तरंग में मस्त होकर अबीर गुलाल उड़ाते हैं। ऐसे कपड़े फाड़ होली भी कहा जाता है। इस हुरंगे में संगीत गायन और ब्रज के रसियों की झलक भी देखने को मिलती है। संगीत गायन के साथ अबीर गुलाल और कोड़े मार कपड़े फाड़ होली का आनंद को देखकर श्रद्धालु अपने आप को धन्य समझते हैं।
मथुरा से परवेश चतुर्वेदी की रिपोर्ट
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