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West Bengal: ममता बनर्जी की नई योजनाओं से सियासी हलचल तेज, बीजेपी ने साधा निशाना

West Bengal News : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले दो बड़ी योजनाओं की घोषणा की है, जिसने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है. एक ओर सामुदायिक दुर्गा पूजा के लिए 1.1 लाख रुपये के सरकारी अनुदान की घोषणा की गई, तो दूसरी ओर ‘आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ योजना शुरू की गई, जिसके तहत प्रत्येक बूथ को 10 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं. इन घोषणाओं पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे धर्म की राजनीति और चुनावी लालच करार देते हुए ममता सरकार पर विकास को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.


सामुदायिक दुर्गा पूजा के लिए अनुदान

ममता बनर्जी ने सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों के लिए 1.1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. यह कदम राज्य में सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है. हालांकि, बीजेपी ने इस फैसले को धर्म आधारित राजनीति का हिस्सा बताया है. बीजेपी की राज्य महासचिव और आसनसोल दक्षिण की विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि ममता सरकार सड़क निर्माण और रोजगार जैसे विकास कार्यों को छोड़कर धार्मिक मुद्दों पर ध्यान दे रही है. पॉल ने सवाल उठाया कि क्या सरकार का उद्देश्य मंदिर बनाना और पूजा के लिए अनुदान देना है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदमों से अन्य समुदाय भी अपने पूजा स्थलों के लिए सरकारी मदद की मांग कर सकते हैं, जैसा कि दीघा में जगन्नाथ मंदिर के लिए मांग की गई थी.


‘आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ योजना

ममता बनर्जी ने ‘आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ को देश में अपनी तरह की पहली पहल बताया है. इस योजना का उद्देश्य जमीनी स्तर पर जनता की समस्याओं जैसे टूटे नल, खराब सड़कें और स्ट्रीट लाइट्स की मरम्मत करना है. इसके लिए प्रत्येक बूथ को 10 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं, और दो अगस्त से हर तीन बूथों पर कैंप लगाए जा रहे हैं. कुल 8000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना की निगरानी मुख्य सचिव मनोज पंत के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स करेगी.

ममता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बंगाल के फंड रोके जाने के बावजूद, उनकी सरकार जनता की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेगी. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दावा है कि यह योजना स्थानीय लोगों को उनकी समस्याओं के समाधान में निर्णय लेने का अधिकार देती है, जिसमें सरकार केवल सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाएगी. यह कार्यक्रम सरकार की अन्य प्रमुख योजना ‘दुआरे सरकार’ से अलग है, जो दिसंबर में फिर से शुरू होगी. कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में हर दो बूथों पर एक कैंप लगाया जा रहा है.


बीजेपी का हमला

बीजेपी ने इन योजनाओं को चुनावी तोहफा करार दिया है. अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि ममता सरकार की प्राथमिकताएं विकास के बजाय धर्म आधारित नीतियों पर केंद्रित हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजेपी शिक्षा, रोजगार और सभी नागरिकों के उत्थान के लिए काम करती है, न कि धर्म आधारित राजनीति के लिए. पॉल ने यह भी आरोप लगाया कि ममता सरकार की ये योजनाएं 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर शुरू की गई हैं, जिसका मकसद वोट बैंक को मजबूत करना है.


सियासी माहौल गर्म

ममता बनर्जी की इन योजनाओं ने पश्चिम बंगाल की सियासत को और गर्म कर दिया है. एक ओर टीएमसी इन योजनाओं को जनता के हित में बता रही है, वहीं बीजेपी इसे वोट की राजनीति से जोड़कर देख रही है. जैसे-जैसे 2026 का विधानसभा चुनाव नजदीक आएगा, इन योजनाओं का प्रभाव और सियासी बयानबाजी और तेज होने की संभावना है.


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