नहीं रहे पद्भम भूषण एम.टी. वासुदेवन, 91 की उम्र में ली आखिरी सांस

M.T. Vasudevan Nair Passed Away : नहीं रहे पद्भम भूषण एम.टी. वासुदेवन, 91 की उम्र में ली आखिरी सांस
M.T. Vasudevan Nair Passed Away : मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से एक दुखद खबर सामने आई है। मशहूर मलयालम लेखक और फिल्म निर्देशक एम. टी. वासुदेवन नायर का 91 साल की उम्र में निधन हो गया। 15 दिसंबर को सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें कोझिकोड के बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से साहित्य और सिनेमा जगत में गहरा शोक व्याप्त है।
एम. टी. वासुदेवन नायर की प्रसिद्ध रचनाओं में ‘नालुकेट’, ‘रंदामूज़म’, ‘वाराणसी’ और ‘स्पिरिट ऑफ डार्कनेस’ शामिल हैं, जो मलयालम साहित्य और सिनेमा का अहम हिस्सा मानी जाती हैं। वे बचपन से ही लिखने के शौकिन थे, और कॉलेज के समय में उन्होंने अपनी लेखनी की शुरुआत ‘रक्तम पुरंदा मंथरिकल’ से की थी।
बता दें कि सिनेमा की दुनिया में एम.टी. ने स्टोरी राइटिंग की शुरुआत मलयालम फिल्म ‘मुरप्पेण्णु’ से की थी, और इसके बाद उन्होंने फिल्म निर्देशन में कदम रखा। उन्होंने ‘निर्माल्यम’ जैसी फिल्में बनाई, जिसे बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके बाद उन्होंने ‘बंधनम’ और ‘कडव’ जैसी यादगार फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी फिल्मों ने मलयालम सिनेमा को नई दिशा दी और वे साहित्य एवं सिनेमा के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ गए।
पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए शोक व्यक्त किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमटी वासुदेवन नायर की मौत पर एक्स के जरिए शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मलयालम सिनेमा और साहित्य के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक श्री एमटी वासुदेवन नायर जी के निधन से दुखी हूं। मानवीय भावनाओं की गहन खोज के साथ उनके काम ने कई पीढ़ियों को आकार दिया है और आगे भी कई लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने मूक और हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज दी। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’
राज्य में दो दिन का रहेगा अवकाश
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एमटी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। वहीं राज्य सरकार ने 26 और 27 दिसंबर को दो दिन के आधिकारिक शोक की घोषणा की है। सीएम पिनराई विजयन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि एमटी वासुदेवन नायर के निधन से हमने मलयालम साहित्य के एक ऐसे दिग्गज को खो दिया है, जिन्होंने हमारी भाषा को वैश्विक ऊंचाइयों पर पहुंचाया। धर्मनिरपेक्षता और मानवता के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता एक ऐसी विरासत छोड़ गई है जो पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। उनके परिवार और सांस्कृतिक समुदाय के प्रति हार्दिक संवेदना।
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