
Letter of Education Minister of Bihar: अपने बयानों के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाले शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक बार फिर बयान दिया है। हालांकि इस बार उनका बयान पत्र के माध्यम से आया है। इस पत्र में उन्होंने कई बातों का जिक्र करते हुए भारतीय जनता पार्टी से जवाब भी मांगा है।
‘धर्म के नाम पर धंधा करने वालों खिलाफ जागृत करना मेरी जिम्मेदारी’
प्रोफेसर चंद्रशेखर ने लिखा है कि मैं शबरी के झूठे बेर खाने वाले, अहिल्या के तारणहार व त्याग की प्रतिमूर्ति प्रभु श्री राम का भक्त हूं। शबरी और अहिल्या के बेटे बेटियों को मंदिर जाने पर रोकने और अपवित्र समझ कर गंगाजल से धोने वाले धर्म के नाम पर धंधा करने वालों और बेचने वालों के खिलाफ समाज को जागृत करने की जिम्मेदारी हम समाजवादियों की है।
Letter of Education Minister of Bihar: ‘…उस समय क्यों नहीं निकली आवाज’
उन्होंने कहा, मनुवाद द्वारा बनाए गए दलित कुल में जन्मे तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व उनकी धर्मपत्नी को 18 मार्च 2018 को जगन्नाथ पुरी मंदिर में जाने से रोकने, 20 जून 2023 को अपने पचासवें जन्मदिन के मौके पर आदिवासी समाज से आने वाली राष्ट्रपति मुर्मू को जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में जाने से रोकने तथा मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जीतन राम मांझी द्वारा मधुबनी के दुर्गा मंदिर में पूजा के उपरांत गंगाजल से धोने जैसा पाप करने वाले इन संप्रदायवादी नेताओं की आवाज तब क्यों नहीं निकली?
‘संप्रदायवादियों के विरुद्ध हूं’
हिन्दू धर्म को छुआछूत में बांटने वाले षड्यंत्रकारी, मनुवादी/नफरतवादी सम्प्रदायवादी के विरुद्ध हूं। मेरी लड़ाई जीवन पर्यन्त जारी रहेगी। गौरतलब है कि देश की प्रथम महिला शिक्षिका नारी शिक्षा की प्रतिमूर्ति माता सावित्री बाई फूले द्वारा कभी कहा गया था कि मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का रास्ता। स्कूल का मतलब, जीवन में प्रकाश का रास्ता। डेहरी ऑन सोन (रोहतास) की एक महती जनसभा में विधायक फतेह बहादुर सिंह के बोलने व लिखने पर उनकी जीभ एवं गर्दन की कीमत लगाने वालों को चेतावनी देते हुए मात्र सावित्री बाई फूले के कथनों को दोहराया गया।
‘मेरे बयान को तोड़-मरोड़ के पेश किया गया’
विभिन्न सामाचार पत्रों में मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. जो सर्वधा अनुपयुक्त है। मेरा प्रयास है कि देश की आम अवाम को धर्म का व्यापार करने वाले, धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नफरतवादियों, लोकशाही की हत्या करने वाले तथा तनाशाही थोपने वाले सम्प्रदायिक षडयंत्रकारियों से सचेत किया जा सके। क्या ऐसे तत्वों में यह बताने की हिम्मत है कि मनुवाद द्वारा धर्म की आड़ में अस्पृश्य (अछूत) कुल में जन्म लेने वाले बाबा साहब डॉ० भीमराव आंबेडकर ही क्यों अकेले भारतीय है, जिन्हें सदी के ज्ञान के प्रतीक के रूप में दुनिया जानती है तथा माता सावित्री ही क्यों प्रथम महिला शिक्षिका बनीं। कथित मनुवादी कुल के क्यों नहीं ?
‘किसी जाति विशेष के नहीं हैं ईश्वर’
मेरा स्पष्ट मानना है कि ईश्वर किसी जाति विशेष के नहीं, जिस बात का समर्थन हिंदूवादी संगठन संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर चुके हैं। वरना शूद्र और नारियों को तो मनुवादी धर्म में शिक्षा व संपत्ति का अधिकार भी नहीं था। धर्म को धंधा बनाकर राजनीतिक करने वाले भाजपाइयों से इसका जवाब चाहता हूं।
‘भाजपा को नहीं चाहिए कॉलेज जाने वाले बच्चों का वोट?’
यह भी विचारणीय प्रश्न है कि आस्था व जीविका के बीच विभ्रान्ति पैदा करने वाले भाजपा के लोग क्या यह कहने की स्थिति में हैं कि भाजपा को कॉलेजों एवं स्कूलों में आने वाले बच्चों व उनके माता-पिता का वोट नहीं चाहिए? क्या उन्हें रोजगार तलाशने वालों का वोट नहीं चाहिए? उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जीविका का यक्ष प्रश्न जीवन में अधिक प्रसांगिक है। मुझे भाजपा वालों के प्रत्युत्तर का इंतजार है।
रिपोर्टः सुजीत श्रीवास्तव, ब्यूरोचीफ, बिहार
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