
Lucknow Suicide : राजधानी लखनऊ में एक युवक की दर्दनाक मौत ने बिजली विभाग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बुलंदशहर के तातारपुर गांव से आए 35 वर्षीय अजय कुमार शुक्रवार सुबह करीब 9:20 बजे लामार्ट्स चौराहे पर पहुंचे, जो मुख्यमंत्री आवास से महज थोड़ी दूरी पर है. वहां उन्होंने पुलिसकर्मियों को चिल्लाते हुए बताया कि उन्होंने सल्फास जहर पी लिया है. लड़खड़ाते हुए गिर पड़े अजय को तुरंत सिविल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की सारी कोशिशें नाकाम रहीं और दोपहर 11:45 बजे उनकी मौत हो गई. जांच में पता चला कि अजय बिजली विभाग की लापरवाही और रिश्वतखोरी से इतना परेशान था कि उसने यह कदम उठा लिया.
आटा चक्की का सपना टूटा, विभाग की लापरवाही बनी कारण
अजय ने 2014 में अपने गॉंव में एक आटा चक्की शुरू की थी, जो उसकी आजीविका का मुख्य स्रोत थी. लेकिन हाल ही में उनका ट्रांसफॉर्मर खराब हो गया. विभाग ने नया ट्रांसफॉर्मर तो इंस्टॉल किया, पर वह सिर्फ एक घंटे चला और फिर से खराब हो गया. इसके बाद अजय ने बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पूछताछ में सामने आया कि विभाग वाले ट्रांसफॉर्मर बदलने के बदले 70 प्रतिशत खर्च की मांग कर रहे थे. एस्टीमेट में साफ-साफ लिखा था कि बिना उपभोक्ता का 70 फीसदी भुगतान के कोई काम नहीं होगा. इस लगातार परेशानी और भ्रष्टाचार के दबाव में अजय का कारोबार चौपट हो गया, जिससे वह आर्थिक संकट में फंस गया.
हालांकि, अजय लखनऊ मुख्यमंत्री आवास इसलिए आया था ताकि जनता दरबार में सीएम से अपनी शिकायत रख सके. लेकिन शिकायत करने से पहले ही उसकी हताशा भारी पड़ गई, और चौराहे पर ही उसने जहर निगल लिया. मौके पर मौजूद क्विक रिस्पॉन्स टीम ने उसे फौरन अस्पताल पहुंचाया, मगर समय रहते उसकी जान नहीं बच सकी.
विभाग ने मानी गलती, जांच का वादा किया
बुलंदशहर के विद्युत वितरण खंड के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरजीत सिंह ने घटना पर सफाई देते हुए कहा, “यह शिकायतकर्ता मुझसे कभी आमने-सामने नहीं आया. हम इस पूरे प्रकरण की तहकीकात करवा रहे हैं ताकि पता चल सके कि किसकी गलती से समस्या सुलझी नहीं. दोषी अधिकारियों या स्टाफ के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.” विभाग ने अजय के परिवार को सहायता देने का भी भरोसा दिलाया है.
परिवार का गम और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने अजय के शव का पोस्टमॉर्टम करवाया और परिवार को सौंप दिया. उनके भाई ने बताया कि अजय महीनों से इस मुद्दे से जूझ रहा था, और कई बार स्थानीय थाने में शिकायतें की गईं, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेते हुए बुलंदशहर में विभागीय जांच तेज कर दी है.
यह हादसा ग्रामीण इलाकों में बिजली सेवाओं की खामियों को सामने लाता है, जहां छोटे व्यापारी अक्सर ऐसी परेशानियों का शिकार होते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि पारदर्शी प्रक्रियाओं से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है. प्रशासन ने उच्च स्तर पर जांच समिति बनाने का संकेत दिया है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराए.
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