सीताराम येचुरी को याद कर राहुल गांधी ने कहा… ‘मैं हमारे बीच होने वाली लंबी चर्चाओं को याद रखूंगा’

Tribute to Sitaram Yechury
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Tribute to Sitaram Yechury : CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी के निधन पर राजनीति के कई दिग्गजों ने दुख जताया है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है. राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी को अपना मित्र बताया और उनके साथ बिताए पलों की यादों को साझा किया.

‘सीताराम येचुरी जी मेरे दोस्त थे’

राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सीताराम येचुरी जी मेरे दोस्त थे. हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले भारत के विचार के संरक्षक थे. मैं हमारे बीच होने वाली लंबी चर्चाओं को याद रखूंगा. दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, दोस्तों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है.

अखिलेश ने दी श्रद्धांजलि

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि देश के वरिष्ठ राजनेता एवं सीपीएम के महासचिव श्री सीताराम येचुरी जी का निधन, अत्यंत दुःखद है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहने का संबल प्राप्त हो। भावभीनी श्रद्धांजलि !

व्यक्तिगत क्षति महसूस कर रहा हूं : आरिफ मोहम्मद खान

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, यह उनकी पार्टी, दोस्तों और परिवार के लिए बहुत बड़ी क्षति है। लेकिन मैं भी एक तरह की व्यक्तिगत क्षति महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं उन्हें लंबे समय से जानता था। हम सभी उम्र के हिसाब से समकालीन हैं। हमने लगभग एक ही समय में सक्रिय राजनीति में रुचि लेना शुरू किया था। इसलिए, मैं उन्हें लंबे समय से जानता था। वह दृढ़ विश्वास वाले व्यक्ति थे, जो अपने विचारों और आदर्शों पर अडिग थे और जिस पर उनका विश्वास था, उसके प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। मैं उनके परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं.

मेरे बहुत अजीज दोस्त थे : फारुख अब्दुल्ला

श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने कहा, वे मेरे बहुत अजीज दोस्त थे। आज हिंदुस्तान महरूम हो गया एक ऐसे नेता से जो बेटोक बात करता था. उनका विचार था कि यह वतन हम सभी का है, चाहें आप किसी भी जुबान के हों और इसे ऐसे ही रहने दिया जाए. हर एक को इस वतन से, दुनिया से जाना ही है. आए वहीं से हो और वापस वहीं जाना है। उन्होंने (सीताराम येचुरी) हमारे लिए क्या-क्या लड़ाईयां नहीं लड़ीं. आज यकीन नहीं होता है कि वे हमारे बीच नहीं हैं. मैं इस गम में शरीक हूं.

‘चुनाव ही तो हारे हैं, हौसला थोड़े ही हारे हैं… सीताराम येचुरी बनना आसान नहीं’

राजद नेता मनोज कुमार झा ने कहा, कुछ हफ्तों पहले मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। ‘आगे क्या करना है’ उनका हमेशा ये कहना. मैं समझता हूं कि समकालीन राजनीति में उनकी जैसी समझ बहुत कम लोगों के पास थी. संविधान की समझ… अभी लालू यादव का फोन आया… जब चुनाव के नतीजे आते थे और अच्छे नहीं होते थे तो वे कहते थे कि चुनाव ही तो हारे हैं, हौसला थोड़े ही हारे हैं… सीताराम येचुरी बनना आसान नहीं है।

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