
हिंदू धर्म में बेहद ही पवित्र मानी जाने वाली अमरनाथ यात्रा शनिवार 1 जुलाई से शुरू हो गई है और इसके साथ ही शुरूआत हो गई आपसी स्नेह और एकता की। जहां मुसलमानों ने मिलकर अमरनाथ यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं का फूल और मालाओं से स्वागत किया। बता दें कि यह यात्रा 62 दिनों तक चलेगी और इस यात्रा के लिए अभी तक 3 लाख से भी ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जोकि पिछले साल से कहीं ज्यादा है। यात्रियों का पहला जत्था कल 30 जून को जम्मू के बेस कैंप से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रवाना किया था। वहीं आज नुनवान बेस कैम्प से यात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया गया।इस यात्रा के दौरान अनंतनाग में धार्मिक एकता की मजबूत मिसाल पेश की गई।
यहां कश्मीरी मुस्लिम लोगों ने अमरनाथ यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं का फूल और मालाओं से स्वागत किया। स्वागत के दुआर्ण कश्मीरी मुस्लिम महिलाएं भी शामिल रहीं। इस दौरान एक व्यक्ति ने कहा कि अमरनाथ यात्रा और कश्मीर का वर्षों पुराना रिश्ता है। यह यात्रा हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है और इसी नाते हम हिंदू यात्रियों का स्वागत कर उनकी सफल और सुखद यात्रा की कामना करते हैं। बता दें कि बाबा बर्फ़ानी की यात्रा का पहला जत्था पवित्र गुफा के तरफ़ नुनवान बेस कैम्प से रवाना हो गया। बेस कैंप से 1997 यात्रियों ने पैदल चढ़ाई शुरू की जो पहलगाम के पारंपरिक रास्ते से दो दिनों तक पैदल चढ़ाई कर बाबा की गुफा पहुंचेंगे और बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे। माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ पहलगाम के रास्ते से ही माता पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा गये थे। तब से इस रास्ते को काफ़ी शुभ माना जाता है। हालांकि इस रास्ते से 32 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई रहती है।
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