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5 साल से पति को गोद में लेकर भटक रही पत्नी, बोली- मैं ज्योति मौर्य नहीं

आपने ज्योति मौर्य जैसी तमाम कहानियां देख ली और सुन ली होंगी लेकिन आज हम आपको इस कहानी से अलग कहानी के बारे में बतायेंगे जिसे देखकर आप ये जरुर कहेंगे कि हर कोई ज्योति मौर्य नही होता और ये हम नहीं कह रहें हैं बल्कि छतरपुर जिले की रहने वाली प्रियंका गौंड का कहना है।

दरअसल मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक पत्नी ने लोगों को आईना दिखाते हुए साबित कर दिया कि समाज में आज भी ऐसी पत्नियां हैं जो अपने पति को परमेश्वर ही समझती है। सुनकर आप हैरान जरूर हो रहे होंगे, लेकिन यह पत्नी ऐसी नहीं, जो पद पाते ही अपने पति को लात मार दे। हम बात कर रहे है छतरपुर जिले की प्रियंका गौंड की, जो अपने विकलांग पति को अनुकंपा नौकरी दिलाने के लिए उसे गोदी में उठाकर अधिकारियों के चक्कर पिछले पांच साल से काट रही है। दिव्यांग पति के प्रति प्रियंका का यह समर्पण समाज में मिसाल बना हुआ है। वहीं प्रियंका का कहना है कि मैं ज्योति मौर्य नहीं, जो अपने पति का साथ छोड़ दूं। हौसला इतना कि हर हाल में पति को अनुकंपा नियुक्ति दिलाने की बात प्रियंका कह रही है। प्रियंका गौंड के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारिफ की जा रही है और इस वीडियो को लोग जमकर भी कर रहें हैं।

इसी के साथ आपको बताते चलें इस वीडियो में एक महिला अपने दिव्यांग पति को गोद में लेकर कलेक्टर के समीप पहुंची है। पति को गोद में लिए पत्नी से मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मैं ज्योति मौर्य नहीं हूं कि इन्हें छोड़ दूं। वह पति की पीड़ा बताते हुए रोने लगी। प्रियंका गौंड 5 वर्षों से पति को गोद में लेकर दर-दर भटक रही है। अपने दिव्यांग पति के लिए प्रियंका नेताओं एवं अधिकारीयों से फरियाद लगा रही है। मंगलवार को जब प्रियंका अपने पति को गोद में लेकर जनसुनवाई में पहुंची तो सभी दृश्य देखकर दंग थे। दरअसल, प्रियंका के पति अंशुल गौंड़ का 2019 में हादसा हुआ था, तत्पश्चात, वह दिव्यांग हो गए। पति का कहना है उसकी मां शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर पदस्थ थी, मगर वर्ष 2015 में उनकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। जब से लेकर आज तक उन्हें मां की नौकरी की जगह अनुकंपा नियुक्ति नही दी गई है। 

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