UP: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राजनीतिक पार्टियों पर जमकर की कटाक्ष

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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नेआज प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस दौरान उन्होनें रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी, काशी मथुरा विवाद, और बागेश्वर धाम में हो रहे चमत्कार,नित्यानंद के हिन्दू राष्ट्र बनाने पर उन्होंने खुलकर अपने बयान रखें। राजनीतिक पार्टियों पर भी जमकर कटाक्ष किया।

रामचरितमानस में स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा संशोधन कराने के सवाल पर कहा के यह कैसे तय होगा, और जिसने  लिखा होता है वही उसको संशोधन करने का अधिकार होता है, गोस्वामी तुलसीदास जी होते तो कुछ संशोधन होता वह तो अब है नहीं।

अगर स्वामी प्रसाद मौर्य को नहीं पढ़ना है तो उसे ना पड़े, और उसे संशोधन की बात करनी है तो अपने लोगों को बताते रहे, लेकिन रामचरितमानस को जलाने का अधिकार उन्हें नहीं है। अगर राजनीतिक धर्म ग्रंथों की भाषा नहीं समझते, तो राजनीति की भाषा समझे राजनीति की भाषा बहुमत होती है।

आज भी सर्वे करा लीजिए 99% लोग आज भी रामचरितमानस के पक्ष में है। आज भी भारत का सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाला ग्रंथ रामचरितमानस है। तुम लोग बहुमत के बल पर सत्ता में आते हो और तुम इसको समझ नहीं।

चुनाव आयोग को इस पूरे मामले पर संज्ञान लेना चाहिए। हिंदू समाज को दो फाड़ करने की कोशिश हो रही है। जातियों में देश को बांटने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे राजनैतिक नेताओं पर चुनाव लड़ने की बंदिश लगा दे।

यह भारत की भावना के विपरीत कार्य कर रहे हैं ।जिसमें कहा गया है कि भारत एक संघ होगा, और यहां का हर नागरिक एक दूसरे से जुड़ा हुआ होगा । आप एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हो उन नेताओं को और उनकी पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोक देना चाहिए।

स्वामी प्रसाद मौर्य को अगर कुछ ऐतराज है, तो उन शब्दों को न पड़े पैर के नीचे ग्रंथों को कुचलना और पढ़ने का अधिकार उन्हें किसने दिया। अगर उन्हें एतराज है तो अपना एतराज जहां दर्ज करा सकते हो वहां कराएं।

रिपोर्ट: प्रवेश

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