निर्भया जैसी दरिंदगी हुई थी छावला की युवती के साथ, फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को किस आधार पर किया बरी? जानें

Chhawla Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक फैसला सुनाया जिससे हर कोई हैरान रह गया। हम बात कर रहे है छावला रेप केस की। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। साल 2012 में दिल्ली में उत्तराखंड की 19 वर्षीय लड़की के साथ आरोपियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या कर दी थी। तो चलिए जानते है आखिर किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को बरी किया…
निर्भया जैसी दरिंदगी हुई थी छावला की युवती के साथ
निर्भया दुष्कर्म कांड से लगभग दस माह पहले दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी। कार सवार तीन युवकों ने छावला की रहने वाली 19 वर्षीय युवती को अगवा कर चलती कार में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म के दौरान दरिंदगी की थी। उस घटना ने भी देश को शर्मसार कर दिया था। दिल्ली के छावला (Chhawla Rape Case) से हरियाणा के रेवाड़ी के बीच तकरीबन 100 किलोमीटर तक युवती के साथ दरिंदगी की गई। बताया जा रहा है कि रास्ते में आरोपितों ने एक ठेके से बीयर भी खरीदी थी। आरोपितों ने दुष्कर्म करने के साथ ही उसके शरीर पर कई जगह दांतों से भी काट लिया था और सिगरेट से जलाया भी था।
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सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को किस आधार पर किया बरी?
सोमवार को फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत (Chhawla Rape Case) ने कहा कि केस में कई खामियां देखने को मिली हैं। पाया गया कि अभियोजन पक्ष द्वारा परीक्षण किए गए 49 गवाहों में से 10 गवाहों से जिरह ही नहीं की गई। यही नहीं, कई अन्य महत्वपूर्ण गवाहों से बचाव पक्ष के वकील द्वारा पर्याप्त रूप से जिरह नहीं की गई। जस्टिस त्रिवेदी ने कहा हमने पाया कि अपीलकर्ता-आरोपितों को निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकारों से वंचित किया गया था। इसके चलते उन्हें संदेह के आधार पर बरी किया जाता है।