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राज्यसभा सदस्य संत सीचेवाल का ट्रम्प पर तीखा हमला, टैरिफ नीति को बताया गरीब देशों के शोषण का तरीका

फटाफट पढ़ें

  • संत सीचेवाल ने ट्रम्प की टैरिफ नीति की निंदा की
  • कहा – भारत पर असर नहीं, अमेरिका की छवि धूमिल
  • ट्रम्प को ‘डाकू’ बता उनकी सोच पर सवाल उठाए
  • भारत मेहनती देश है, दबाव में नहीं आएगा
  • विशेषज्ञ बोले – नीतियों से डॉलर पर संकट संभव

Punjab News : राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 25 फीसदी टैरिफ वाले बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गरीब देशों को डराना और उनका आर्थिक शोषण करना अमेरिका जैसे ताकतवर देश को शोभा नहीं देता, उन्होंने कहा कि टैरिफ से भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अमेरिका की सोच पर ज़रूर दाग लगेगा, जिसे इतिहास में याद रखा जाएगा. ट्रम्प के रवैये पर टिप्पणी करते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि जब आपके पास हथियार या पैसा आ जाता है तो आप दुनिया के लोगों को गले लगाने के बजाय उन्हें डराकर उनसे छीनने की नीति पर चलने लगते हैं, उन्होंने कहा कि ट्रम्प के गलत फैसलों का खामियाजा दुनिया के गरीब देशों को भुगतना पड़ेगा.

टैरिफ नीति को बताया मानसिक दबाव

संत सीचेवाल ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्हें डाकू बताया, उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले भी 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जो 7 अगस्त को लागू हो चुका है, और अब फिर 25 फीसदी और टैरिफ लगाने का ऐलान उनकी मानसिकता को उजागर करता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कहना कि जब तक भारत के साथ टैरिफ विवाद हल नहीं होगा, तब तक कोई भी व्यापारिक बातचीत नहीं होगी, उनकी सोच को दर्शाता है.

संत सीचेवाल ने कहा कि भारत अब पहले वाला भारत नहीं रहा, जिसकी बांह जब चाहे मरोड़ दी जाए. भारत ने पहले भी आर्थिक पाबंदियों का डटकर सामना किया है और आगे भी करता रहेगा, उन्होंने कहा कि किसान और मज़दूर देश के 140 करोड़ लोगों का पेट भरते आए हैं. देश के लोग मेहनती हैं और परिश्रम में विश्वास रखते हैं. ट्रम्प ऐसे टैरिफ लगाकर भारत को आर्थिक संकट में नहीं डाल सकते.

विशेषज्ञों ने जताई वैश्विक आर्थिक संकट की आशंका

गौरतलब है कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के दौरान जो बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उससे वित्तीय बाजार डगमगा गए हैं. आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही हालात रहे तो इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं. अगर डॉलर से भरोसा उठने लगा तो बड़े कारोबारी अमेरिका से पलायन कर दूसरे देशों की ओर रुख कर सकते हैं. ऐसे हालात में अमेरिकी जनता को ही ट्रम्प की दुनिया विरोधी आर्थिक नीतियों का डटकर विरोध करना होगा.

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