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शिक्षा से होगा बदलाव : पंजाब के स्कूलों में शुरू होगा नशा निवारण का पाठ्यक्रम

Punjab School Curriculum : पंजाब में नशे की समस्या से निपटने के लिए भगवंत मान सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया है. 1 अगस्त, 2025 से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए नशा निवारण का एक विशेष पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा. यह पहल नशे की समस्या को जड़ से खत्म करने और युवाओं को जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


वैज्ञानिक पाठ्यक्रम का ढांचा

यह 27-सप्ताह का पाठ्यक्रम नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी की टीम द्वारा तैयार किया गया है. हर 15 दिन में 35 मिनट की कक्षा के माध्यम से लगभग 8 लाख छात्रों को नशे के खतरों, सामाजिक दबाव से बचने और सही निर्णय लेने की शिक्षा दी जाएगी. यह कार्यक्रम 3,658 सरकारी स्कूलों में लागू होगा, और इसके लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. पाठ्यक्रम को देशभर के वैज्ञानिकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने सराहा है.


इंटरैक्टिव शिक्षण पद्धति

इस पाठ्यक्रम में पारंपरिक शिक्षण से हटकर आधुनिक तरीके अपनाए जाएंगे. छात्रों को फिल्में, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर, वर्कशीट और इंटरैक्टिव गतिविधियों के जरिए नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाएगा. इसका उद्देश्य नशे को “आकर्षक” मानने जैसे भ्रमों को तोड़ना और छात्रों को यह समझाना है कि नशा जीवन को बर्बाद करने का रास्ता है.


पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम

इस पाठ्यक्रम का पायलट प्रोजेक्ट अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में चलाया गया, जिसमें 9,600 छात्र शामिल थे. सर्वेक्षण के अनुसार, 90% छात्रों ने माना कि चिट्टा जैसे नशीले पदार्थों का एक बार उपयोग भी लत का कारण बन सकता है. पहले 50% छात्र मानते थे कि केवल इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, लेकिन पायलट के बाद यह संख्या घटकर 20% रह गई. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि यह पाठ्यक्रम सोच में बदलाव लाने में प्रभावी है.


नशे के खिलाफ दोहरी रणनीति

पंजाब सरकार नशे की आपूर्ति और मांग दोनों पर काम कर रही है. मार्च 2025 से शुरू हुए युद्ध नशे विरुद्ध अभियान के तहत 23,000 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया, 1,000 किलो से ज्यादा हेरोइन जब्त की गई और करोड़ों रुपये की संपत्ति ज़ब्त की गई. इस पाठ्यक्रम के जरिए सरकार नशे की मांग को कम करने के लिए युवाओं को शिक्षित करने पर ध्यान दे रही है.


राष्ट्रीय स्तर का मॉडल

पंजाब पहला राज्य है जिसने नशे के खिलाफ स्कूलों में इतना व्यापक और वैज्ञानिक पाठ्यक्रम लागू किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है. यह नशे की समस्या को रोकथाम के जरिए हल करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है.


नशामुक्त पंजाब की ओर कदम

पंजाब सरकार का यह पाठ्यक्रम नशे के खिलाफ जंग में एक नया अध्याय है. यह न केवल युवाओं को जागरूक करेगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करेगा. यह पहल दर्शाती है कि नशे से निपटने के लिए शिक्षा और जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है. आने वाले समय में यह कार्यक्रम पंजाब को नशामुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है.


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