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पंजाब : 71 साल बाद भाखड़ा डैम से निकाली जाएगी गाद, केंद्र सरकार ने योजना पर जताई सहमति

Bhakhra Dam Desilting : लगभग 71 वर्षों बाद अब भाखड़ा डैम के गोबिंद सागर जलाशय से गाद हटाने का कार्य जल्द ही शुरु होने वाला है। पंजाब सरकार के साथ केंद्र सरकार ने भाखड़ा डैम के गोबिंद सागर जलाशय से गाद हटाने की योजना पर सहमति जताई है। इस कार्य के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम का गठन किया है, जिसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के मुख्य अभियंता सीपी सिंह भी शामिल हैं।

सीपी सिंह ने बताया कि पिछले दो वर्षों से गोबिंद सागर झील में गाद की जांच नियमित रूप से की जा रही थी। जांच में पाया गया कि झील का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा गाद से भर चुका है। यदि जल्द ही डिसिल्टिंग कार्य नहीं किया गया, तो झील की जल धारण क्षमता में और कमी आ सकती है।

पॉलिसी की कमी ने टेंडर रोका:

बीबीएमबी ने पहले से ही डिसिल्टिंग के लिए आवश्यक एनआईटी तैयार कर रखी थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश में डिसिल्टिंग पॉलिसी की अनुपस्थिति के कारण टेंडर जारी नहीं किया जा सका। इस पर चर्चा के बाद हिमाचल सरकार ने आश्वासन दिया है कि आगामी विधानसभा सत्र में गोबिंद सागर झील में डिसिल्टिंग पॉलिसी को मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद ही कार्य शुरू किया जाएगा।

देश और राज्य के लिए लाभकारी

सीपी सिंह ने कहा कि यह केवल बीबीएमबी की चुनौती नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। जलाशय की गाद हटाने से न केवल जल धारण क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और ऊर्जा उत्पादन पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। इसके अलावा यह कार्य राज्य और देश के जल संसाधनों के संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।

बताद दें कि भाखड़ा डैम और गोबिंद सागर झील पंजाब के लिए सिर्फ जल संरक्षण का स्रोत ही नहीं, बल्कि कृषि और ऊर्जा उत्पादन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। झील में जमा होने वाली गाद समय के साथ जल क्षमता को कम कर देती है, जिससे बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है और सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

डिसिल्टिंग से होंगे ये फायदे:

  1. जल क्षमता में वृद्धि: झील में जमा गाद हटने से जल स्तर अधिक रहेगा और सूखे के समय पानी की उपलब्धता बढ़ेगी।
  2. सिंचाई में सुधार: किसानों को पर्याप्त जल उपलब्ध होगा और फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी।
  3. बाढ़ नियंत्रण: बारिश के दौरान अतिरिक्त पानी का संचयन संभव होगा, जिससे बाढ़ का खतरा कम होगा।
  4. पर्यावरणीय लाभ: जल गुणवत्ता में सुधार होगा और झील के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलन मिलेगा।

71 वर्षों का इंतजार

उल्लेखनीय है कि गोबिंद सागर झील का निर्माण 1954 में हुआ था। तब से अब तक झील में जमा गाद हटाने का कोई कार्य नहीं हुआ है। समय के साथ गाद की मोटाई बढ़ती गई, जिससे जल क्षमता पर प्रभाव पड़ा। अब 71 वर्षों बाद डिसिल्टिंग का कार्य होने जा रहा है, जो ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

सरकार की योजना

सरकार ने इस कार्य के लिए विशेष तकनीक और उपकरणों की व्यवस्था की है। विशेषज्ञों के अनुसार, डिसिल्टिंग कार्य को सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि झील की क्षमता और इसके आसपास के क्षेत्र की कृषि गतिविधियों को स्थायी रूप से सुरक्षित बनाया जा सके।

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