
Jalabishek : हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सातों दिन देवी – देवताओं को समर्पित होता है। इसी प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय जलाभिषेक और मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
भगवान शिव को प्रसन्न करने और सुख – शांती की प्रापती के लिए शिव जी की पूजा के कई तरीके बताए गए हैं। उन्हीं में से एक शिवलिंग पूजा भी है। शिव जी की मूर्ति पूजा और शिवलिंग पूजा अलग होती है। इनके नियम, विधि और मंत्र भी आलग होते हैं।
मंत्र उच्चारण
शिवलिंग पूजा में जलाभिषेक और मंत्रों का उच्चारण महत्वपूर्ण माना जाता है। शिवलिंग जलाभिषेक के समय इन मंत्रों का जाप करना चाहिए –
ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
अर्थ – मैं नमन करता हूं उस परम चेतना (शिव) को, जो सार्वभौमिक दिव्य प्रतिध्वनि (ओम) है, जो मेरे हृदय में ह्रीं (शक्ति) के रूप में स्पंदित होती है।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय इस मंत्र का जाप किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
जलाभिषेक करने की शुभ दिशा
शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मुंह को हमेशा दक्षिण दिशा में रखें। उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके जल न चढ़ाएं। पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य द्वार माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद कभी भी भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। भगवान शिव को अर्पित किया जल लांघना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि विधि – विधान से भगवान शिव की पूजा करने वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। इस लिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है।
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