
रिंकू सिंह ने कहा, आखिरी ओवर में दो रन आउट होने के बावजूद मुझे मैच खत्म करने का भरोसा था। जब स्टेडियम में दर्शक रिंकू-रिंकू के नारे लगा रहे थे, तब मेरा जोश और बढ़ रहा था। मुझे लग रहा था किसी भी कीमत पर उनके लिए मैच खत्म करना है।
मैंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए 4 साल तक जीतोड़ मेहनत की है। IPL मैं मैंने कई बार ऐसी परिस्थिति देखी है। लास्ट ओवर में दो रनआउट जरूर हुए, लेकिन मुझे हमेशा जीत का यकीन था। भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले T-20 में 209 का टारगेट चेज कर रहा था।
जिस वक्त रिंकू सिंह बल्लेबाजी करने आए, भारत का स्कोर 14.5 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 154 रन था। रिंकू सिंह के आने के बाद भारत को जीत के लिए 31 गेंद पर 45 रन की दरकार थी। भारत आसानी से जीत की तरफ बढ़ता नजर आ रहा था।
सूर्यकुमार यादव के 80 के निजी स्कोर पर आउट होने के बाद अचानक मैच बदल गया। भारत का स्कोर 17.4 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 194 रन हो गया। अब जीत के लिए 14 गेंद पर 15 रन बाकी थे। इसके बाद भारत ने 3 विकेट और खो दिए।
सीन एबॉट के आखिरी ओवर की तीसरी गेंद पर अक्षर पटेल कॉट एंड बोल्ड हुए। चौथी और पांचवीं गेंद पर रवि बिश्नोई के बाद अर्शदीप सिंह रन आउट हो गए। लास्ट बॉल पर जीतने के लिए एक रन चाहिए था। रिंकू सिंह ने अंतिम गेंद पर छक्का जड़ दिया।
हालांकि एबॉट ने ओवर स्टेप कर दिया था, इसलिए छक्का काउंट नहीं किया गया। भारत नो बॉल के एक रन से ही मैच जीत गया। पर रिंकू सिंह ने मैच फिनिश करने की अपनी काबिलियत के बूते हर क्रिकेट फैन का दिल जीत लिया।