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मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट, पीड़ितों के लिए एक्शन लेने की मांग

सुप्रीम कोर्ट की ओर से मणिपुर हिंसा की जांच के लिए गठित कमेटी ने रिपोर्ट अदालत में सौंपी है। इस रिपोर्ट में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह मणिपुर सरकार और UAIDAI को निर्देश दे कि विस्थापितों के लिए आधार कार्ड बनवाना सुनिश्चित करें।जिससे पीड़ितों की पहचान और उन्हें मुआवजा देने में आसानी हो सके। कमेटी ने यह रिपोर्ट हिंसा की वजह से अपने पहचान दस्तावेज गंवा चुके लोगों की परेशानियों का ध्यान रखते हुए की है।

कमेटी में 3 रिटायर्ड महिला जज शामिल

जस्टिस गीता मित्तल (रिटायर्ड) की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को 2 अलग-अलग रिपोर्ट सौंपी हैं। इस कमेटी में जस्टिस शालिनी पी जोशी और जस्टिस आशा मेनन भी शामिल हैं। कमेटी का गठन राज्य में जातीय हिंसा प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए किया गया है। राज्य में 2 महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद Supreme Court ने इस कमेटी का गठन किया था।

Supreme Court के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली के सामने दाखिल रिपोर्ट में कमेटी ने कहा कि पीड़ितों तक राहत और पुनर्वास उपायों का फायदा पहुंचाने में कई कमियां बाधक बन सकती हैं। इनमें पहचान के लिए दस्तावेजों की अनुपलब्धता भी शामिल है। हिंसा का शिकार बने अधिकतर लोग अपने आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड समेत कई कागजात खो चुके हैं।

कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह UAIDAI के गुवाहाटी में डिप्टी डायरेक्टर और मणिपुर के गृह सचिव को संयुक्त रूप से इस बारे में निर्देश जारी करें। जिससे पात्र लोगों को आधार कार्ड उपलब्ध करवाया जा सके। पीड़ितों को मुआवजे के मुद्दे पर कमेटी ने कहा कि मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना, 2019 का दायरा फौरन बढ़ाये जाने की जरूरत है। इसने इस योजना में बदलाव के लिए मणिपुर सरकार को निर्देश देने का भी अनुरोध किया।

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