बलिया में विराजमान हैं तीन रूप धारण करने वाली मां चंडी भवानी, दर्शन से होता है दुखों का अंत

Ballia: बलिया जिले के रसड़ा तहसील में एक अनोखा मंदिर है। यह मंदिर मां विंध्यवासिनी की प्रतिमूर्ति है। उचेडा गांव में स्थित यह मंदिर मां चंडी भवानी का है जो नवरात्रि में भक्तों से भरा रहता है। मान्यता है की मां भवानी 24 घंटे में तीन रूप बदलती है। सुबह में बाल्यावस्था दोपहर में युवावस्था और रात्रि में वृद्धावस्था के रूप में दर्शन देती हैं। मां चंडी के दरबार में नवरात्रि के अलावा अतिरिक्त दिनों में भी भक्तों का मेला लगा रहता है। उचेडा गांव में मां के अवतरित होने की कथा भी काफी लोकप्रिय है और लोगों में इसको लेकर काफी कौतूहलपुर्ण बातें प्रचलित है।
आईए बताते है क्या है मां के अवतरित होने की दिव्य कथा
माना जाता है कि एक ब्राह्मण वृद्धा अवस्था के कारण चलते-फिरने में असमर्थ हो गए। उन्होंने माता विंध्यवासिनी के दरबार में जाकर माता से कहा कि अब मैं आपके पास नहीं आ पाऊंगा और मां को अपने साथ चलने के लिए आग्रह करने लगा। ब्राह्मण की बात सुनकर मां विंध्यवासिनी ने उन्हें आश्वासन देते हुए घर जाने को कहा। मां की बात मानकर ब्राह्मण घर वापस आ गए।वह रोज की तरह अपने घर में सो रहे थे तभी उनके सपने में मां विंध्यवासिनी ने गांव के ही एक स्थान पर स्वयं प्रकट होने की बात बताई। जिसके बाद ब्राह्मण की जब सुबह नींद टूटी तो उचेड़ा गांव की उस जगह पहुंचे जहां मां ने अपने प्रकट होने की बात बताई थी। मां की बताई जगह पर पहुंचने के बाद ब्राह्मण ने वहां जमीन की खुदाई कराने का काम शुरू किया। घंटों की खुदाई के बाद वहां मां विंध्यवासिनी की सिरमुखी प्रतिमा दिखाई दी।
ब्राह्मण द्वारा कराया गया मंदिर का निर्माण
ब्राह्मण को मां कि प्रतिमा जमीन में धंसी हुई दिखाई तो दे रही थी पर वह उसे निकालने में असमर्थ थे। प्रतिमा के पूर्ण स्वरूप को बाहर निकालने के लिए ब्राह्मण ने काफी दिनों तक खुदाई कराई लेकिन प्रतिदिन प्रतिमा जमीन के अंदर धंसती ही जा रही थी। जिसके बाद एक बार फिर मां विंध्यवासिनी ने ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि मेरा स्वरूप यही है मैं इसी रूप में लोक कल्याण करती रहूंगी। जिसके बाद इस अद्भुत अलौकिक मंदिर का निर्माण ब्राह्मण द्वारा कराया गया।
दर्शन मात्र से दुख, रोग होते हैं दूर
अब यह मंदिर एक भव्य रूप ले चुका है। यह मंदिर लोगों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र बन गया है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां मेला के साथ-साथ विविध कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जिसमें श्रद्धालुओं की सहभागिता भी होती है। मां चंडी भवानी का यह मंदिर बलिया (रसड़ा) में ही नहीं पूरे देश में विख्यात है। उचेडा गांव में स्थित इस मंदिर के दर्शन मात्र से दुख, असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों की पीड़ा और निसंतान दंपति की तकलीफ दूर हो जाती हैं। इस मंदिर में तमाम शुभ कार्य किए जाते हैं।
(बलिया से अनामिका पाल की रिपोर्ट)
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