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जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों से पहले हथियार लेकर चलने पर पाबंदी

District Council and Panchayat Committee Elections : पंजाब में एक बार फिर से चुनाव का बिगुल बज गया है। राज्य में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव की घोषणा हो गई है।  इस बीच जिला प्रशासन ने 14 दिसंबर को होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों को शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से संपन्न कराने के लिए सख्त कदम उठाया है। ए.डी.सी. पूनम सिंह ने घोषणा की है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एक्ट, 2023 की धारा 163 के तहत जिले में हथियार लेकर चलने पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है। यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने और चुनावी हिंसा की संभावनाओं को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।

सभी हथियारधारकों पर रोक लागू

ए.डी.सी. पूनम सिंह ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सभी हथियार लाइसेंस धारकों पर लागू होगा। चुनाव के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने लाइसेंसेड हथियार को लेकर नहीं चल सकेगा। इस पाबंदी का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मतदान केंद्रों और उनके आसपास का क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित रहे और मतदाता बिना किसी डर के मतदान कर सकें।

सेना, अर्धसैनिक और पुलिस कर्मियों को छूट

हालांकि, ए.डी.सी. ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पाबंदी सेना के जवानों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस कर्मियों पर लागू नहीं होगी। सुरक्षा बल अपने दायित्व के तहत हथियार रख सकते हैं और चुनावी क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने का कार्य जारी रखेंगे। वहीं, चुनाव में उम्मीदवारों के सुरक्षाकर्मी मतदान केंद्रों के भीतर हथियार नहीं ले जा सकेंगे। यह कदम सुनिश्चित करता है कि मतदान केंद्रों में सुरक्षा तो रहे, लेकिन वहां कोई अवैध हथियार की मौजूदगी न हो।

स्थानीय प्रशासन की तैयारियाँ

जिला प्रशासन ने चुनावों को शांतिपूर्ण और पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न उपायों को लागू किया है। मतदान केंद्रों के आसपास अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात किया जाएगा, और स्थानीय अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, प्रशासन ने मतदाताओं और आम नागरिकों को भी अपील की है कि वे कानून का पालन करें और किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।

चुनावों में सुरक्षा और भरोसा बढ़ाना मुख्य उद्देश्य

इस पाबंदी का मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में सुरक्षा और विश्वास दोनों सुनिश्चित करना है। हथियार ले जाने पर रोक से न केवल चुनावी हिंसा की आशंका कम होगी, बल्कि मतदाता और उम्मीदवार दोनों ही सुरक्षित वातावरण में अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकेंगे। प्रशासन का यह कदम जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में शांति और निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

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