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सौरभ भारद्वाज का BJP पर हमला : दलित मंदिर तोड़ने की योजना को बतााया शर्मनाक

Saurabh Bharadwaj On Temple Demolition : दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित दलित समाज के प्राचीन और ऐतिहासिक स्वामी हैदर दास मंदिर को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिस का कड़ा विरोध किया है. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इस कदम को गलत और दलित समुदाय के लिए अपमानजनक बताया. उन्होंने कहा कि इस मंदिर को 7 दिनों के भीतर स्वयं तोड़ने का आदेश दिया गया है, जबकि यह मंदिर 1930 में बने इरविन अस्पताल से पहले का है और यहां कई दलित महापुरुषों की समाधियां मौजूद हैं.


दलित समाज के लिए मंदिर का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्वामी हैदर दास मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी दलित समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह मंदिर लगभग 1000 वर्ग गज में फैला हुआ है और यहां एक धर्मशाला भी चलती है, जहां मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज आने वाले मरीजों के परिजन ठहरते हैं. मंदिर का निर्माण 1930 में अंग्रेजों के जमाने में हुआ, जब इरविन अस्पताल का निर्माण कार्य चल रहा था. उस समय इस मंदिर को इरविन अस्पताल से पहले स्थापित किया गया था. मंदिर ने आसपास के अस्पतालों और कॉलेजों के विकास को देखा है और दलित समाज के लिए यह विश्वास और सांत्वना का केंद्र रहा है.


भाजपा सरकार के मंदिर तोड़ने के फैसले पर सवाल

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि हाल ही में भाजपा सरकार ने शालीमार बाग में जैन समाज के मंदिर पर बुलडोजर चलाया था. इसके अलावा तुगलकाबाद में रविदास मंदिर को भी अतिक्रमण बताते हुए तोड़ा गया था. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गरीब और कमजोर वर्गों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों को भी निशाना बना रही है. दिल्ली में दलित समाज के लिए ये मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक विरासत हैं. ऐसे प्राचीन मंदिरों को अवैध घोषित करना और उन्हें तोड़ने का आदेश देना पूरी तरह अनुचित और गैर-कानूनी है.


दलित समाज की भावनाओं को आहत करने वाला कदम

विशेष विधायक रवि ने कहा कि यह मंदिर दलित समाज के लिए अत्यंत पवित्र है, जहां वे रोजाना आकर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और महापुरुषों की समाधियों पर माथा टेकते हैं. उन्होंने कहा कि यह मंदिर स्वतंत्रता से पहले का है और इस मंदिर में दलित समाज के कई भव्य धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं. भाजपा सरकार का इसे गैरकानूनी बताकर तोड़ने का कदम दलित समाज की भावनाओं को गंभीर रूप से ठेस पहुंचाता है.


रविदास मंदिर मामले से सबक नहीं लिया गया

विशेष रवि ने यह भी याद दिलाया कि अगस्त 2019 में तुगलकाबाद में 600 साल पुराने गुरु रविदास मंदिर को भी तोड़ा गया था, जिसे लेकर दलित समाज ने कड़ा विरोध जताया था. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर को पुनः बनवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक वह वादा पूरा नहीं हुआ. उन्होंने भाजपा सरकार से सवाल किया कि क्या उसने दलित समाज के साथ दुश्मनी निकाल रखी है? क्या वह अपनी सियासी मजबूती के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना चाहती है?


दलित समाज पूरी तरह जागरूक और सशक्त

सौरभ भारद्वाज और विशेष रवि दोनों ने साफ तौर पर चेतावनी दी कि दलित समाज इस तरह के कदमों को सहन नहीं करेगा. यदि भाजपा सरकार ने दलित समाज के मंदिरों को नुकसान पहुंचाया तो इसका जवाब दलित समाज अपनी शक्ति के माध्यम से देगा. उन्होंने कहा कि भाजपा को समझ लेना चाहिए कि दलित समाज जागरूक और संगठित है, जो अपनी विरासत और सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.

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