
Electoral Bonds scheme Case Before SC: सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर, मंगलवार को आदेश दिया कि विवादास्पद चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी परिदवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अगर 31 अक्टूबर को सुनवाई समाप्त नहीं होती है तो मामले की सुनवाई 1 नवंबर को भी की जाएगी। बता दें, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी 2017 में शीर्ष अदालत के समक्ष इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर किए जाने के लगभग 6 साल बाद आया है।
1 नवंबर तक हो सकती है सुनवाई
याचिकाकर्ता के वकील और अटॉर्नी जनरल ने शुरुआती प्रेजेंटेशन दी हैं। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि वे मामले को फिर से खोलना चाहते हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामले को अंतिम सुनवाई 31 अक्टूबर को किया जाएगा और यदि इस पर कोई सुनवाई होती है तो यह 1 नवंबर तक जारी रहेगी। बता दें, न्यायालय ने इस पर एक संक्षिप्त चर्चा के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया है।
धन विधेयक के रूप में है चुनावी बांड योजना
चुनावी बांड योजना को धन विधेयक के माध्यम से पेश की गई थी। और धन विधेयक को पास होने के लिए राज्यसभा की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “क्या आप धन विधेयक के मुद्दे पर दबाव डाल रहे हैं? यदि आप चाहते हैं कि हम धन विधेयक के बिना इसकी सुनवाई करें, तो ठीक है,
क्या है Electoral Bond Finance Act, 2017 ?
चुनावी बांड योजना एक विधेयक Electoral Bond Finance Act, 2017 के माध्यम से पेश किया गया था जिसकी वजह से संसद को तीन अन्य कानून आरबीआई अधिनियम, आयकर अधिनियम और लोगों का प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया। 2017 के वित्त अधिनियम ने एक सिस्टम विकसित किया जिसके द्वारा चुनावी फंडिंग के उद्देश्य से किसी भी अनुसूचित बैंक द्वारा चुनावी बांड जारी किए जा सकता है।
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