UP: फर्जी बैंक से हो रही थी बड़ी ठगी, 17 करोड़ पहुंच गया था टर्नओवर, पढ़ें पूरा मामला

यूपी के भदोही जिले की पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने बड़े पैमाने पर फर्जी बैंक संचालित करने वाले दो शातिर और फर्जी मैनेजिंग डायरेक्टरों और एक फर्जी बैंक के ही शाखा प्रबंधक को गिरफ्तार किया है। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने तकनीकी यंत्रों व वाहनों समेत करीब 67 लाख का सामान भी बरामद किया है। ये लोग बीएसएमजे (BSMJ) क्वासी नाम से फर्जी बैंक संचालित कर रहे थे। पूर्वांचल के करीब आधा दर्जन जनपदों में इस फर्जी बैंक की लगभग 38 शाखाएं भी संचालित हो रहीं थीं। फर्जी बैंक का लगभग 17 करोड़ रुपये का टर्नओवर हो रहा था। लोगों को कम समय में रुपये दोगुना, तिगुना करने की लालच का झांसा देकर इनकी टीम पैसा जमा कराती थी। जालसाजों के पास से पुलिस ने दो पासपोर्ट भी बरामद किये हैं। जालसाज विदेश भागने की फिराक में भी थे।
भ्रष्टाचार व ठगी का खेल खेलने वाले दो जालसाज यूपी के भदोही पुलिस और क्राइम ब्रांच टीम के हत्थे चढ़े हैं। उक्त जालसाज बड़े पैमाने पर बैंक संचालित कर रहे थे। बैंक कम्पनी अधिनियम एवं वित्तीय कानून को ठेंगें पर रख बिना किसी सरकारी स्वीकृति और सर्टिफिकेट के फर्जी ढंग से बेखौफ चलाया जा रहा था। भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे और लालची लोगों से अल्प समय में रुपये दोगुना, तिगुना करने का झांसा देकर पैसे उक्त बैंक और उसकी शाखाओं में उनका खाता खुलवाकर जमा कराए जाते थे।
इन्होंने इसके लिए बड़े पैमाने पर जाल बिछाया हुआ था। पूर्वांचल के भदोही, वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, आजमगढ़ व गाजीपुर आदि जिलों में उक्त फर्जी बैंक के करीब 38 ब्रांच संचालित हो रहे थे। शाखाओं पर कर्मी भी तैनात किए गए थे। बैंक में करीब 17 करोड़ का टर्नओवर हो रहा था। ये गिरोह अब तक कई हजार लोगों का ठगी का शिकार बना चुका है।
पुलिस की जांच में पता चला है कि फर्जी बैंक संचालन के जरिये इनकी फर्जी कम्पनी का 17 करोड़ का टर्नओवर हो रहा था। ये न सिर्फ गरीबों की गाढ़ी ठग और हड़प रहे थे, बल्कि सरकार की आंखों में धूल झोंकते हुए सालों से सरकारी कायदों को ताक पर रख राजस्व की भी क्षति कर मोटा काला माल इकट्ठा कर रहे थे। भोले-भाले और लालची लोगों को झांसा देकर बैंक की शाखाओं में रुपए जमा कराने वाले जालसाज पब्लिक/कस्टमर का विश्वास जीतने के लिए आसानी से लोन भी प्रदत करा देते थे। साथ ही अत्यधिक पैसा जमा हो जाने पर शाखा बंद कर दूसरी जगह नई फर्जी ब्रांच का संचालन करने लगते थे।
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