देश को मिलीं नई सुषमा स्वराज? 11 रुपए के चंदे ने बदल दी किस्मत, जानिए आखिर कौन है ये महिला?

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किसी ने ठीक ही कहा है कि हारा वही है जो लड़ा नहीं।ऐसा ही उदाहरण पेश किया है बीजेपी की नई सुषमा स्वराज ने  अब आप सोच रहें होंगे आखिर ये नई सुषमा स्वराज कौन हैं तो आपको बता दें ये वोही महिला हैं । जिनके पति ने अपने प्यारे भारत के लिए सीने पर गोली खाकर भी दुश्मनों की छाती को छलनी कर दिया था। बड़ी बात ये रही कि आर्थिक तंगी और पति को खोने के  बावजूद भी  इस महिला ने हार नहीं मानी फिर  क्या था इनके जज्बे को जौहरी की तरह  पहचाना नरेंद्र मोदी ने और तब से आज तक इनका मानो जीवन ही बदल गया।

कौन है आखिर ये महिला?

 इनका नाम है सुधा यादव  इनकी कहानी बड़ी ही संघर्ष भरी है लेकिन ऐसी भी जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। एक समय था जब इनके पास घर चलाने के पैसे नहीं हुआ करते थे और आज वो बीजेपी की नई सुषमा स्वराज बनने जा रहीं हैं।

कैसे एक फोन कॉल ने बदल दी सुधा यादव की जिंदगी?

नरेंद्र मोदी ने बदला सुधा यादव का जीवन

मोदी ने कहा कि आप लाल कृष्ण आडवाणी , अटल बिहारी बाजपाई  और कुशाभाऊ ठाकरे से मिलिए वो भी मोदी की बताई हुई राह पर चल दीं और धीरे धीरे उनकी राजनीति समझ में भी इजाफा होना शुरू हो गया।इतना ही नहीं मोदी के कहने पर वो स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी से भी मिलीं। इसके बाद गुड़गांव के अग्रवाल धर्मशाला में एक मीटिंग रखी गई। जिसमें आईआईटी रुड़की से पास आउट सुधा अग्रवाल भी पहुंची तब देश की राजनीतिक हवाएं भी अच्छी हुआ करती थीं। इसी दौरान उनका गर्मजोशी से स्वागत भी किया गाया।

इसी दौरान मोदी ने एक वोट से सरकार गिरने  की बात कहते हुए कहा की उस एक वोट की कसर हमें इस बहन को चुनाव लड़वाकर पूरी करनी पड़ेगी। फिर क्या था पूरे हाल में तालियों की आवाजें गूंजने लगीं और यहीं से शुरू हुआ चुनावी सफर ।

सुधा जी महेंद्रनगर से लोकसभा का चुनाव लड़ी और लाखों वोटों से जीत गईं और बड़ी बात ये रही की जीती भी चुनाव किससे बड़े ही धनवान राजनीतिक खिलाड़ी सोनिया गांधी के करीबी रावेंद्र सिंह जीत को 1 लाख 39 हजार वोटों से हराया ।

इसी कड़ी में वो साल 1999 से 2004 तक संसद रहीं। इसके बाद 2004और 2009 में उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वो हार गईं। इस हार की बाद भी उनका सम्मान कम नहीं हुआ और उनको  2015 में बीजेपी ओबीसी मोर्चा का प्रभारी भी नियुक्त किया गया।

वर्तमान में क्यों है चर्चा में?

हाल ही में जिस टीम में योगी को जगह नहीं मिली उसमें मिली सुधा यादव को जगह ।

मोदी की नई राष्ट्रीय कार्यकारणी  टीम में सुधा यादव का भी नाम शामिल है। इससे उनके बढ़ते कद का अंदाजा लगाया जा सकता है।

क्या है राजनितिक पहलू?

हम सभी जानते हैं की भाजपा का कोर वोटर कौन है कौन नहीं , यूपी की सियासत में  राजनीतिक पंडित ये भी कयास लगा रहें हैं कि  सुधा के नाम के पीछे लगा जाति का नाम कहीं  नए राजनीतिक बदलाब का सूचक तो नहीं है । ये तो आगे आने वाला समय ही बताएगा ।