सोनभद्र: बिना नोटिस के 174 मजदूरों को किया कार्यमुक्त, 3 दिन से जारी धरना प्रदर्शन

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में स्थित कोयला उत्पादन करने वाली देश की सबसे कम्पनी के रूप में एनसीएल को माना जाता है। जहां से कई कई प्रदेशों के बिजली घरों को कोयला पहुंचाया जाता है। ऐसे में जहा एक तरफ पूरे देश को बिजली प्राप्त हो रही है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार को भी अच्छा फायदा होता है। ऐसे में एनसीएल कर्मियों के अलावा एनसीएल आउट सोर्सिंग कंपनियों में कार्य कार्य करती है, जिसमें स्थानीय लोगों को कार्य मिल पाता है जिससे उनकी आजीविका भी चलती है और उनकी मजदूरी ही एक मात्र सहारा है जिससे अपने परिवार का पेट भरते है।

अब ऐसे में एनसीएल कृष्णशीला परियोजना में कार्य सीएचपी का कार्य कर रही स्टार ओएडम कापनी में के नए ठेकेदार द्वारा लगभग तीन वर्षो से कार्य करे रहे महिला और पुरुष वर्करों को बिना किसी नोटिस के बीते 5 अगस्त को पुलिस और एनसीएल सुरक्षा बल का प्रयोग कर जबरन कार्य से हटा दिया गया जिसके बाद सभी 174 मजदूर एन सी एल के उच्च अधिकारी के पास पहुंचे जहा पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई जिसके बाद सभी मजदूर एनसीएल कृष्णशीला परियोजना के जीएम ऑफिस के पास धरने पर चार दिनों से बैठे हुए है। धरने पर पुरुष वर्करों के साथ महिला वर्कर भी बैठे हुए है। और अभी तक कोई भी अधिकारी उनका हाल भी लेने नहीं पहुंचा है।

मजदूरों का आरोप है की एन सी एल परियोजना जब आई तो काफी वादे किए जिसमे सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार देने की बात कही गई जिसके एवज में हमारा घर खेत खलिहान पेड़ कुआ सब ले किया गया है। ऐसे में अब अपना परिवार चलाने को लेकर सिर्फ एक मात्र मजदूरी का सहारा है जिसमे हम लोग लगभग तीन साल से मजदूरी करते हुए अपने परिवार का पेट भरते हुए बच्चो को किसी प्रकार से विद्यालय में पढ़ा रहे थे। जो अचानक हम लोगो को मजदूरी से हटा दिया गया है। आखिर क्या गलती थी हमारी अब परिवार का पेट और बच्चो की पढ़ाई कैसे होगी जिसको लेकर अब सभी धरने पर बैठे हुए है।

मजदूरों का ये भी आरोप है की कंपनी के नए ठेकेदार द्वारा अन्य जगहों से कम पैसे पर मजूदरों को लाकर उनसे कार्य कराया जाता है। सरकार द्वारा जारी की गई मजदूरी रेट को न देकर उससे काफी कम मनमाने तरीके से मजदूरी दी जा रही है।

कई बार रोजगार के मुद्दे पर आंदोलन कर चुके राजन भारती ने बताया की एनसीएल परियोजना द्वारा स्थानीय लोगों के साथ शुरू से ही छलावा किया है उनकी भूमि के बदले उनसे जितने वादे किए गए थे सारे वादे खत्म कर दिए गए यहां तक की अब उन्हें रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी भी नहीं दी जाती है उसमें भी ठेकेदार मनमानी करते हुए उनकी मजदूरी अपनी जेब में ले लेते हैं और इसका विरोध होने पर मजदूर को नौकरी से बाहर कर देते हैं।

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