
Bhima Koregaon: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2018 के भीमा कोरेगांव दंगा मामले में आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को मंगलवार को जमानत दे दी। जस्टिस एएस गडकरी और एसजी डिगे की बेंच ने नवलखा पर जमानत के लिए वही शर्तें लगाईं जो सह-अभियुक्त आनंद तेलतुंबडे और महेश राउत पर लगाई गई थीं। उच्च न्यायालय ने जमानत आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक भी लगा दी ताकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी उच्चतम न्यायालय के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील कर सके।
Bhima Koregaon: नवलखा जमानत पाने वाले सातवें आरोपी
सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा के बाद भीमा कोरेगांव मामले में जमानत पाने वाले नवलखा सातवें आरोपी हैं। राव को चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी गई थी और राउत अभी भी जेल से रिहाई का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनके जमानत आदेश पर रोक बढ़ा दी गई है। हालांकि नवलखा को शुरू में जेल में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें उनके घर में ट्रांसफर कर दिया गया और नवंबर 2022 में उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकर्ता की बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए याचिका स्वीकार कर ली।
Bhima Koregaon: नवी मुंबई शहर में हैं नजरबंद
गौतम नवलखा, जो एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के पूर्व सचिव हैं। इनको अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल 5 सितंबर को विशेष एनआईए अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद नवलखा ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय ने शुरू में फैसला सुनाया कि जमानत आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है, और मामले को वापस अदालत में भेज दिया।
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