
Delhi Slum Demolition : जहां एक तरफ लोग अपने छोटे-छोटे घरों में बड़ी उम्मीदों के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है. जिसको लेकर दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने BJP सरकार पर हमला बोला है, उनका कहना है कि अब भाजपा सरकार शालीमार बाग और रोहताश नगर की झुग्गियों को भी उजाड़ने जा रही है. इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि 31 जुलाई तक इन इलाकों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है.
ऐसे में एक सवाल उठता है, क्या ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ का वादा सिर्फ एक जुमला ही बनकर रह गया है? क्या गरीबों के सपनों को फिर से कुचला जाएगा? आतिशी का कहना है कि उनकी पार्टी इस अन्याय के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाएगी.
क्या है पूरा मामला?
आतिशी ने शालीमार बाग से पूर्व विधायक वंदना कुमारी, पार्षद जलज चौधरी और रोहताश नगर की पार्षद शिवानी पांचाल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा,
“BJP झुग्गियों को हटाकर ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ का वादा भूल चुकी है, अब वो इसे ‘जहां झुग्गी है, वहां मैदान’ में बदलने पर तुली है”
दूसरी और उन्होंने बताया कि बीते छह महीनों में मद्रासी कैंप, भूमिहीन कैंप, वजीरपुर, जेलरवाला बाग, गोकुलपुर और मादीपुर की झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया जा चुका है, जिसके बाद अब इंदिरा कैंप और लालबाग को निशाना बनाने की तैयारी की जा रही है.
“हम झुग्गियां तोड़ने नहीं देंगे” – आतिशी
आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी गरीबों के हक में पहले भी लड़ी है, अब भी लड़ेगी और आगे भी लड़ती रहेगी. जिसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि पार्टी सड़क से लेकर कोर्ट, संसद और विधानसभा तक इस मुद्दे की गुंज पहूंचाएगी. अपनी बात को आगे रखते हुए उन्होंने कहा, “हम भाजपा को झुग्गियां तोड़ने नहीं देंगे”
जहां झुग्गी, वहां मकान’ का वादा या महज एक जुमला?
गौरतलब है कि दिल्ली की झुग्गियों पर फिर से बुलडोजर की आहट ने लाखों परिवारों की नींद उड़ा दी है. जिन लोगों ने सालों इन झुग्गियों में अपना घर बसाया, सपने सजाए, वहीं आज उन लोगों को उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है. जहां आम आदमी पार्टी सरकार को गरीबों के हक में घेर रही है, वहीं बीजेपी की तरफ से अब तक इस पर कोई साफ जवाब देही नहीं आई है. अब सवाल ये नहीं है कि यहां झुग्गी रहेगीं या नहीं, सवाल है कि क्या गरीबों की भी जिंदगी और आशियाने की कोई कीमत है?
अब देखना होगा कि यह मुद्दा सियासी बहस तक सीमित रहता है या वाकई झुग्गीवासियों के लिए कोई समाधान का रास्ता निकालता है. हालांकि इसको देखते हुए साफ कहा जा सकता है कि दिल्ली में ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ का वादा आज फिर कटघरे में खड़ा है.
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