राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में न जाने से कोई ‘हिंदू-विरोधी’ नहीं बन जाता: शशि थरूर

Shashi Tharoor on Pran Pratistha
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Shashi Tharoor on Pran Pratistha: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि राम मंदिर के आयोजन में जाना या न जाना किसी की व्यक्तिगत फैसला हो सकता है, इसके आधार पर किसी को एंटी-हिंदू कहना सरासर बेवकूफ़ी है.

तीन चार वरिष्ठ नेताओं को बुलाया गया.. मुझे नहीं मिला न्योता

उन्होंने ये भी बताया कि कांग्रेस के तीन-चार वरिष्ठ नेताओं को आयोजन में बुलाया गया है और उन्हें न्योता नहीं मिला है.

मंदिर राजनीतिक मंच नहीं

मीडिया से बातचीत के दौरान शशि थरूर ने कहा, “मेरा मानना है कि मंदिर राजनीतिक मंच नहीं है. मंदिर प्रार्थना की जगह है. मंदिर जाना या न जाना किसी का भी व्यक्तिगत फ़ैसला है और जिन लोगों को बुलाया गया है वो तय करेंगे.”

हमारी विचारधारा CPI से अलग.. हम नास्तिक नहीं

“जहां तक मेरी बात है मुझे बुलाया नहीं गया है तो मुझे इसे लेकर कोई फैसला नहीं करना है. अगर मंदिर के आयोजन को राजनीतिक बनाया जा रहा है तो वह मंदिर जाना नहीं है, फिर वो कुछ और है. हमारी विचारधारा सीपीआईएम से अलग है न ही हम उनकी तरह नास्तिक हैं और ना ही हम बीजेपी के हिंदुत्व से सहमत हैं. हम (कांग्रेस) लोगों की निजी मान्यताओं का सम्मान करते हैं.”

न्योता मिलने वाले नेता तय करेंगे कि उन्हें जाना है या नहीं

“पार्टी के तीन-चार वरिष्ठ नेताओं को न्योता मिला है वो ज़ाहिर तौर पर तय कर रहे होंगे कि उन्हें जाना है या नहीं. लोग इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं, क्या ये सही है? एक राजनीतिक आयोजन में न जाने से आप हिंदू-विरोधी नहीं बन जाते. ठीक ऐसे ही मंदिर जाने से आप किसी के विरोधी नहीं बन जाते.”

“कांग्रेस पर ये दबाव डालना कि अगर आप जाते हैं तो आप बीजेपी के हाथों खेलेंगे और नहीं जाएंगे तो हिंदू विरोधी बन जाएंगे, ये बेवकूफ़ी है. लोगों को तय करने दें कि वो क्या चाहते हैं.”

22 जनवरी को होगी प्राण प्रतिष्ठा

राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 6,000 से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है.

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