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यासीन मलिक केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, “यासीन मलिक आम आतंकवादी नहीं…” बोली सीबीआई

Yasin Malik: कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें आतंकी अजमल कसाब का जिक्र किया गया। अदालत ने कहा कि भारत ने कसाब जैसे आतंकवादी को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एक हफ्ते के भीतर संशोधित याचिका दाखिल करे और मामले से जुड़े सभी आरोपियों को पक्षकार बनाए। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।

सीबीआई के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर ले जाना सुरक्षा कारणों से संभव नहीं है और व्यक्तिगत पेशी के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कार्यवाही हो। इस पर जस्टिस अभय एस. ओका ने सवाल किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिरह कैसे हो सकती है। सीबीआई ने सुझाव दिया कि यदि मलिक व्यक्तिगत पेशी पर जोर देते हैं, तो मुकदमे को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए।

निष्पक्ष सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल में कोर्ट रूम बनाकर कार्यवाही की जा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि भारत की न्याय प्रणाली इतनी मजबूत है कि उसने कसाब जैसे आतंकवादी को भी निष्पक्ष सुनवाई दी। सीबीआई ने यासीन मलिक को “आम आतंकवादी नहीं” बताते हुए कहा कि वह पाकिस्तान के आतंकी हाफिज सईद के साथ मंच साझा कर चुका है और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है।

यह मामला 1990 में श्रीनगर में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या से जुड़ा है, जिसमें यासीन मलिक के नेतृत्व में आतंकियों ने जवानों पर गोलीबारी की थी। इस हमले में चार जवान मारे गए थे और 40 घायल हुए थे। मलिक को 1990 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया और मुकदमे पर रोक लग गई। हालांकि, वह पिछले पांच सालों से टेरर फंडिंग केस में जेल में बंद है।

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