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20 साल बाद ठाकरे ब्रदर्स की धमाकेदार वापसी! मराठी गर्व की गूंज से हिली महाराष्ट्र की सियासत!

Maharashtra Politics on 3 language : महाराष्ट्र में चुनाव की तारीख नजदीक हैं ऐसे में वहां की राजनीती ने एक अलग ही मोड़ ले लिया है क्योकि महाराष्ट्र मे 20 साल बाद एक बार फिर ठाकरे ब्रदर्स एक साथ एक मंच पर देखने को मिलेंगे. बता दें कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोंनो भाई एकसाथ आज सुबह 10 बजे से मुंबई में आयोजित हुए विजय रैली मे शामिल होंगे . साथ मे NSCI वर्ली डोम में एक भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक यह बताया जा रहा है कि काफी अधिक संख्या में मराठी लेखक, कलाकार और अन्य गणमान्य लोगें को इस कार्यक्रम में आने के लिए निमंत्रण पत्र भेज दिया गया है.


क्यो शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

दरअसल यह सारा मुद्दा इसलिए गरमाया हुआ है क्योकि 3 भाषा विवाद पर दोनो पार्टी के नेताओं ने इसका विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. उनका मानना है कि राज्य सरकार महाराष्ट्र में जबरदस्ती हिंदी नहीं थोप सकती. इस ही कारण दोनों नेताओं ने हिंदी थोंपे जाने के फैसले पर पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया . जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस 3 लैंग्वेज फॉर्मूले को महाराष्ट्र में लागू करने के अपने आदेश को रद्द कर दिया और एक कमेटी गठित कर इसके जांच के आदेश दिए. इस कमेटी के सुझावों के आधार पर ही आगे का फैसला लिया जाएगा.


विरोध प्रदर्शन के जगह निकाली गई विजय रैली

3 भाषा वाले फैसले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रद्द कर दिया है जिसे दोनों पार्टियां अपनी बड़ी जीत मान रही है. इसलिए यह विजय रैली निकाली जाएगी. बताया जा रहा है कि इस थ्री लैंग्वेज फॉर्मूले के विरोध को लेकर आज ही के दिन उद्धव और राज ठाकरे एक बड़ा विरोध प्रदर्शन रैली निकालने वाले थे, लेकिन अब जबकि सरकार ने अपने फैसले को रद्द कर दिया हैं. तो अब इस रैली को विजय रैली में बदल दिया गया है.


भाषा असीमता पर राजनीती करने की कोशिश

मोजूदा हालात पर महाराष्ट्र मे बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति गठबंधन की सरकार सत्ता मे है जो कि हिन्दुत्ववादी विचारधारा के साथ राजनीती मे आगे बड़ रही है. यही कारण है कि ठाकरे ब्रदर्स आज मराठी भाषा को अपना वोट बैंक बनाने के लिए एकजुट हुए हैं. माना जा रहा है कि वे मराठी मानुष जैसी एक बार फिर भावनात्मक अपील के सहारे जनता का भरोसा जीतना चाहते है. वही इस पर राजनीति के जानकारों का कहना हैं कि यह सिर्फ गठबंधन या रणनीति नहीं, बल्कि एक तरह से अतीत के उस प्रयोग को दोहराने की कोशिश है, जिसमें “मराठी गर्व” सबसे बड़ी ताकत बना था.


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